उत्तराखंड कांग्रेस के विधायकों की दिल्ली में हुई बैठक के दौरान कुछ मुद्दों पर तनातनी की ख़बरे हैं। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा के साथ मीटिंग में विधायकों की नाराजगी की ख़बरें हैं। सूत्रों के मुताबिक कई विधायकों ने संगठन को लेकर जमकर नाराजगी जाहिर की, तालमेल ना होने के सवाल उठाए। बताया जा रहा है कि सवाल उठाने वाले विधायकों ने जिला स्तर पर पदाधिकारियों की नियुक्ति में सलाह या सहमति ना लिए जाने पर एतराज जताया। साथ ही संगठनात्मक लिहाज से रणनीतिक मसलों को लेकर भी एतराज जताया। बैठक के दौरान कुछ मसलों पर तीखी तकरार और गर्मागर्म बहस की भी ख़बरें हैं। जानकारी के मुताबिक कुछ विधायकों ने अपने जिलों और विधानसभा सीटों पर संगठन के कामकाज को लेकर भी आपत्ति जताई। सूत्रों का दावा है कि हरिद्वार के कुछ विधायकों ने सबसे ज्यादा आपत्ति जताई। इसके अलावा किच्छा से विधायक तिलक राज बेहड़ ने क्षेत्रीय संतुलन की एक बार फिर वकालत की। बताया जा रहा है कि बेहड़ ने अपनी बात खुलकर कही और प्रभारी को सभी समीकरणों के बारे में चिंतन मंथन करने को भी कहा। तिलक राज बेहड़ पहले से ही इस मुद्दे को उठाते रहे हैं और बैठक में भी उन्होंने वही बात कही। सूत्रों का दावा है कि बैठक में कई बार ऐसा भी हुआ जब गुटबाजी भी देखने को मिली जिससे प्रभारी को भी उत्तराखंड कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति का अहसास हो गया। सूत्रों का तो यहां तक दावा है कि कुछ विधायकों ने प्रभारी कुमारी शैलजा से वन टू वन मुलाकात का वक्त भी मांगा है, जिस पर प्रभारी ने सहमति भी जताई है । यानी कांग्रेस के भीतर राजनीतिक रण का नया चैप्टर शुरू हो गया है।
प्रभारी ने पढ़ाया एकजुटता का पाठ
बैठक में सबकी बात सुनने, विरोध के सुर उठने के बाद प्रभारी ने विधायकों को एकजुटता का पाठ पढ़ाया। सूत्रों के मुताबिक प्रभारी ने आफ किया कि मिलकर चलने से ही पार्टी आगे बढ़ेगी लिहाजा मतभेद भूलकर आगे की बेहतरी के लिए काम करने के निर्देश दिए गए। कुमारी शैलजा ने बदरीनाथ और मंगलौर की तरह ही केदारनाथ में भी उपचुनाव जीतने के लिए साथ काम करने को कहा। विधायकों से संगठन के साथ तालमेल बनाये रखने को भी कहा गया साथ ही संगठन से भी मुद्दों को आक्रामकता के साथ उठाने और जनता के बीच लगातार बने रहने को कहा गया। इस बैठक के जरिये केदारनाथ उपचुनाव, निकाय चुनाव और 2027 विधानसभा चुनाव के लिए एकजुटता का मंत्र दिया गया। सीनियर नेताओं को पहले ही एकसाथ काम करने को कहा जा चुका है अब विधायकों को भी वही बात कही गई है। ऐसे में सवाल है कि क्या जो भी मुद्दे हैं वो सब सुवझा लिए जाएंगे या आगे भी इसी तरह मनभेद, मतभेद वाली स्थिति बनी रहेगी। फिलहाल बैठक में विरोध के सुर उठने के बाद एक बार फिर कांग्रेस में खलबली है और ये भी साफ है कि गुटबाजी पर पूर्ण विराम नहीं लगा है। ऐसे में आलाकमान संतुलन बनाए रखने के लिए क्या करेगा इस पर सबकी निगाहें होंगी। क्योंकि अभी करन माहरा की टीम का ऐलान होना बाकी है ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में सबको साथ लेकर चलने वाली रणनीति के तहत कुछ अहम फैसले लिए जा सकते हैं खास तौर पर संगठन स्तर पर पदाधिकारियों की नियुक्ति में सभी गुटों को तवज्जो मिलने के आसार हैं।
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