उत्तराखंड सरकार द्वारा हाल ही में विज्ञापित प्रवक्ता पदों की भर्ती में उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों को 10 फ़ीसदी आरक्षण का लाभ न दिए जाने की चिन्हित राज्यमकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक और कांग्रेस के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने कडी आलोचना की है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह करते हुए कहा है कि यदि इसी तरह से जो नौकरियां निकलेंगी और उनमें आंदोलनकारियों को आरक्षण नहीं मिल पाएगा तो आरक्षण का फैसला लिया जाना, एक तरह से बेमानी साबित होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि इन भरतियों को तब तक ठंडे बस्ते में डाल दे जब तक कि आंदोलनकारी के बारे में सरकार कोई उचित निर्णय नहीं ले लेती ।
उन्होंने कहा कि पिछले 24 वर्षों में जब 2005 में उन्होंने आंदोलनकारी सम्मान परिषद के अध्यक्ष पद पर रहते आंदोलनकारी के लिए आरक्षण की व्यवस्था की थी उसके बाद से ही लगातार हम देख रहे हैं कोई ना कोई शरारती तत्व या तो कोर्ट में जाकर आंदोलनकारी के सामने खड़ा हो रहे हैं या सरकार का ढीलापन या गवर्नरों की लाल फीता शाही ने आंदोलनकारियो का भविष्य चौपट कर दिया है। उन्होंने इस बात पर गहरी नाराजगी व्यक्त की जिन राज्य निर्माण आंदोलन कार्यों की बदौलत राज्य बना है उनकी कुत्ता घसिटी की जा रही है और एक तरह से सरकारों के सामने उन्हें भिखारी बना दिया गया है।
उन्होंने इस मामले में गहरी नाराजगी का इजहार करते हुए मुख्यमंत्री और राज्यपाल ,जो राज्य के प्रथम नागरिक हैं उनसे आग्रह किया है कि वो आंदोलनकारी सम्मान की रक्षा हेतु तत्काल हस्तक्षेप करें।
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