उत्तराखंड में मलिन बस्तियों का मामला एक लंबे समय से चल रहा है जिसको लेकर एक बार फिर मामला गर्माया है। एन जी टी ने राज्य सरकार को कहा है मलिन बस्तियों का अध्यादेश मान्य नहीं है ऐसे कोई भी अध्यादेश केंद्र सरकार से जारी किया जाना चाहिए। आपको बता दे कि उत्तराखंड में मलिन बस्तियों को राहत देने के लिए राज्य सरकार ने तीन साल का और समय दिया था लेकिन इस पर एन जी टी ने आपत्ति जताई है इसको लेकर अब राजनैतिक दल भी आमने सामने आ गए है उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि सरकार सिर्फ चुनावों में वोट बैंक मलिन बस्तियों का फायदा उठाती है हरीश रावत सरकार में मलिन बस्तियों के लिए बिल लाया गया था जिसे बीजेपी सरकार ने खत्म कर दिया था ऐसे अध्यादेश लाने का क्या फ़ायदा जिसे एन जी टी ने मानने से मना कर दिया है ।
शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा है कि सरकार मलिन बस्तियों के नियमितीकरण और पुनर्वास के प्रति गंभीर नहीं है कांग्रेस पार्टी लगातार मलिन बस्तियों के लिए बिल लाने की मांग कर रही थी लेकिन सरकार अध्यादेश अध्यादेश का खेल खेल कर मलिन बस्ती के लोगों को गुमराह कर रही थी । कांग्रेस के आरोपों की पुष्टि खुद एनजीटी ने अपने हालिया आदेश में कर दी है । एनजीटी ने अपने आदेश में मलिन बस्तियों के लिए राज्य सरकार के अध्यादेश को मानने से इनकार कर दिया है । इससे मलिन बस्तियों का भविष्य फिर अंधकार में लटक गया है सरकार को मलिन बस्तियों के लिए अपनी नीति और मनसा स्पष्ट करनी चाहिए जिससे मलिन बस्ती निवासियों के मन में जारी संशय समाप्त हो सके ।
शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा की 16 दिसंबर को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के आदेश की वजह से मलिन बस्तियों में गरीब परिवारों के घर खतरे में हैं। वही भारतीय जनता पार्टी जिसके हर मंत्री और प्रत्याशी दावा कर रहे हैं कि उनके अध्यादेश की वजह से तीन साल तक मलिन बस्तियों को बचाया गया, वही पार्टी और उनकी सरकार इस आदेश पर चुप बैठी है। जबकि इस आदेश में प्राधिकरण ने साफ कहा है कि वह इस अध्यादेश को मानते ही नहीं। प्राधिकण के आदेश के अनुसार 13 फरवरी तक रिस्पना नदी पर हजारों परिवारों को हटाने के लिए सरकार को कदम उठाना पड़ेगा। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि अगर यह आदेश जारी रहेगा तो, मलिन बस्तियों पर फिर ध्वस्तीकरण की तलवार लटक गई है इससे मलिन बस्ती वासी अपने भविष्य के प्रति चिंतित हो गए हैं । इसके अलावा सरकार मलिन बस्तियों के पुनर्वास और मुआवजे के बारे में कोई जिक्र ही नहीं कर रही हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि हमारा मानना है कि यह आदेश विधिविरुद्ध एवं गैर संवैधानिक है। आदेश सात जनवरी को सार्वनजिक हुआ था लेकिन सरकार को तीन सप्ताह से इस आदेश के बारे में पता था। इतना समय बीतने के बावजूद सरकार ने इस आदेश के खिलाफ कोई भी कदम क्यो नहीं उठाया है और उच्चतम न्यायालय में इसके खिलाफ कोई याचिका अभी तक नहीं डाली है। इसके विपरीत अभी भी निकाय चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी और नेता दावा कर रहे हैं कि किसी भी बस्ती के लिए कोई खतरा नहीं है, जबकि उनको पता है कि यह सरासर झूठ है।
उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट लग रहा है कि चुनाव के बाद इस आदेश के बहाने गरीबों के घरों पर फिर बुलडोजर चलाना सरकार की मंशा है। पहले पहाड़ी क्षेत्रों में भी इस सरकार ने ऐसे ही किया, बार बार कोर्ट के आदेश का बहाना बनाकर के लोगों के मकानों और दुकानों को तोड़ा गया हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा की हम मांग करते हैं कि सरकार तुरंत इस आदेश के खिलाफ कानूनी कदम उठा कर लोगों पर लटक रही ध्वस्तीकरण की तलवार पर रोक लगा दे, किसी भी हालत में गरीब लोगों को बेघर न करे, कांग्रेस सरकार । के दौरान 2016 मैं मलिन बस्तियों के लिए जो कानून लायागया था,बीजेपी सरकार तत्काल उस अधिनियम पर अमल कर बस्ती में रहने वाले परिवारों का पुनर्वास या नियमितीकरण करे ।
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