उत्तराखंड में निकाय चुनाव के बाद कांग्रेस की अंदरूनी लड़का जारी है। बागी विधायक मयूख महर ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा पर तीखा हमला बोला है और उन्हें इस्तीफा देने को भी कहा है। इसी मुद्दे पर अब पीसीसी चीफ माहरा ने पलटवार किया है। माहरा ने मयूख महर को गिरेबान में झांकने की नसीहत दी है। साथ ही झुमका पहलवान कहे जाने को लेकर भी निशाना साधा है। करन माहरा ने कहा कि जिस शख्स को झुमके और कुंडल का फर्क नहीं पता आखिरी वो खुद को सनातनी कैसे कह सकता है? करन माहरा ने कुछ और सवाल भी मयूख महर से पूछे हैं।
माहरा ने पूछा है बीते तीन साल से मयूख महर कितनी बार संगठन के कार्यक्रमों में शामिल हुए? मयूख महर ने अंकिता भंडारी केस, पेपर लीक, ईडी घेराव के दौरान क्या भूमिका निभाई? मयूख महर ने खनन के पट्टे घूस देकर क्यों लिए? आखिर घूस देकर वो अपराध में शामिल क्यों हुए? करन माहरा ने ये भी पूछा है कि कांग्रेस में रहते हुए नगर निगम चुनाव में पार्टी की अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ काम क्यों किया? पीसीसी चीफ ने पूछा है कि अगर 2019 विधानसभा उपचुनाव में उनकी तबीयत खराब थी तो वो प्रचार में क्यों शामिल हुए? 2024 चुनाव से पहले मयूख महर ने कांग्रेस जिला सम्मेलन के दौरान सीनियर लीडर और पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा की बेइज्जती क्यों की? करन माहरा ने ये भी कहा कि मयूख महर कभी कहते हैं कि कांग्रेस हमेशा हमेशा के लिए छोड़ दी और कभी कहते हैं कि निष्कासन कब करोगे? माहरा ने कहा कि मयूख महर को एक स्टैंड पर कायम रहना चाहिए और हिम्मत है, नैतिकता बची है तो विधानसभा की से तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। करन माहरा ने कहा कि किसी भी चीज की सीमा होती है लिहाजा विधायक मयूख महर को भी मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि संगठन से बड़ा कोई व्यक्ति नहीं होता। माहरा ने कहा कि जो नेता जीतने के बाद कभी संगठन के कार्यक्रमों में नहीं दिखे और संगठन के लिए काम न करें वो बिना वजह बयानबाजी न ही करे तो अच्छा है।

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