21 November 2024

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हरीश रावत ने उठाए गंभीर सवाल, क्या निकल पाएगा हल?

हरीश रावत ने उठाए गंभीर सवाल, क्या निकल पाएगा हल?

बेलडा मुद्दे को लेकर हरीश रावत ने नाराजगी जताई और गंभीर सवाल उठाए हैं। साथ ही इस पूरे मुद्दे पर सीएम धामी से भी संजीदगी दिखाने की उम्मीद जताई है। हरीश रावत ने पीड़ित परिजनों से मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये कहा है

बेलडा यानि हमारी शिक्षा नगरी रुड़की का हृदय स्थल एक गौरवशाली गांव, कल वहां बड़ी संख्या में महिलाओं, वृद्धों, बच्चों से मिलकर बहुत व्यथित हूं और चिंतित भी हूं। सामाजिक सद्भाव, उत्तराखंड की प्रगति का मूल मंत्र है। एक वृद्ध होते हुए व्यक्ति ने अपना एक मात्र कमाऊ पूत खोया, दो बच्चों की मां विधवा हो गई, एक मां ने अपना बेटा खो दिया, दो बहनों ने अपना भाई खो दिया, मगर उस वृद्धजन को भी पुलिस की लाठी खानी पड़ी, मांग बस इतनी सी थी कि बेटे की हत्या हुई है इसकी FIR लिखी जाए, वो हत्या थी या दुर्घटना यह पोस्टमार्टम और उससे आगे फॉरेंसिक जांच से सिद्ध हो सकता था, मगर वहां बर्बर लाठीचार्ज की आवश्यकता क्यों पड़ी, यह सवाल प्रशासन तंत्र को अपने से पूछना चाहिए! समाज को भी यह पूछना चाहिए कि पुलिस अधिकारियों पर बर्बर तरीके से प्रहार करने वाले लोग कौन थे? मगर पुलिस को भी यह सवाल का जवाब देना होगा कि उनके साथ जब वो लाठियां लेकर चल रहे थे, तो दूसरे वो कौन लोग थे जो उनकी मदद के लिए लाठियां लेकर के चल रहे थे और लाठियां मार रहे थे? क्या यह मदद पुलिस ने मांगी थी? यह हत्या थी या दुर्घटना, मगर जो मृतक है उसके परिवार को आर्थिक सहायता देना, सांत्वना देना किसका कर्तव्य है? उस कर्तव्य की पूर्ति क्यों नहीं हुई है? गंभीर रूप से घायल को या दूसरे घायलों को जिनमें से कुछ लोग जेल में हैं उनको चिकित्सा उपलब्ध करवाना, उनके मेडिकल तैयार करना यह किसका कर्तव्य है? जिन्होंने पुलिस पर प्रहार किया उनके साक्ष्यों होंगे, अधिकारियों ने देखा होगा उन लोगों को उन्हें आपने नामजत किया होगा, जो लोग सांत्वना देने घर आए, उन सब लोगों को भी जेल डाल दिया और उस व्यक्ति को भी जेल डाल दिया जो घायल पुलिस अधिकारी को हॉस्पिटल लेकर के गया और उसको समय पर चिकित्सा उपलब्ध करवाई! बर्बरता, सामूहिक हिंसा को उकसाती है।

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मेरे जो सवाल हैं वो उत्तर नहीं, समाधान चाहते हैं। मैं, माननीय #मुख्यमंत्री जी से आग्रह करूंगा कि पूरे घटनाक्रम का स्वयं विवेचन करें, एक बच्चा जो अभी लाठी भी नहीं उठा सकता है वो भी घायल है, महिलाएं उनके शरीर के ऐसे अंग में पुलिस की लाठियां पड़ी हैं, सामान्यतः जिन अंगों को महिला जीवन की कीमत पर भी लोगों को नहीं दिखाएगी! बेलड़ा न्याय मांग रहा है और सामाजिक सौहार्द बेलड़ा के लोगों के सामने हाथ जोड़कर के खड़ा है। राजनीति, सामाजिक सौहार्द के मूल्य पर नहीं होनी चाहिये।