अपने खेल करियर में श्रेष्ठ एथलीट रहीं राष्ट्रीय अश्विनी नपच्चा खेलों के सिलसिले में उत्तराखण्ड आई हैं। उन्होंने कहा कि उनको दून-मसूरी में अपने घर जैसा महसूस हुआ। वह पहली बार उत्तराखण्ड आई हैं। उन्होंने कहा कि यहां मेरे कुर्ग जैसे घर का माहौल है। यहां उसी तरह का प्राकृतिक सौंदर्य व शांति है। राष्ट्रीय खेलों के आयोजन पर उन्होंने कहा कि छोटे राज्य में यह बहुत बड़ा काम हो रहा है। निश्चित तौर पर इससे खेल प्रतिभाओं को आगे आने का मौका मिलेगा।
अश्विनी नपच्चा 1990 में बीजिंग में आयोजित एशियाई खेलों में रजत पदक विजेता रहीं हैं। इसके अलावा उन्होंने तीन बार एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता है। वो देश की शीर्ष एथलीट रहीं अश्विनी नपच्चा कर्नाटक के कुर्ग हिल स्टेशन की रहने वाली हैं, जिसे दक्षिण का स्कॉटलैंड कहा जाता है।
राष्ट्रीय खेलों के दौरान आयोजित होने वाले मौली संवाद काॅन्क्लेव के लिए उन्हें विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया था। अश्विनी नपच्चा ने बताया कि उन्होंने राष्ट्रीय खेलों के मुख्य आयोजन स्थल महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स काॅलेज का निरीक्षण किया है। एक जगह पर खेल विकास के दृष्टिकोण से जो इंतजाम किए गए हैं, वे उल्लेखनीय हैं। उत्तराखण्ड सरकार ने खेल विकास के लिए बहुत अच्छे कदम उठाए हैं, जिनका भविष्य में खिलाड़ि़यों को लाभ मिलेगा।
अश्विनी नपच्चा तेलगू फिल्मों की अभिनेत्री रह चुकी हैं। उनके खुद के जीवन पर अश्विनी नाम से फिल्म बन चुकी हैं, जिसमें उन्होंने स्वयं ही अभिनय किया है। अश्विनी ने कहा कि फिल्मों की शूटिंग के लिहाज से उत्तराखण्ड बेहतरीन जगह है।
अश्विनी नपच्चा ने मौली संवाद काॅन्क्लेव में भाग लिया, जिसका विषय “गेम प्लान फाॅर वेल्थ, फाइनेंसियल लिटरेसी फाॅर एथलीट” था। उन्होंने बताया कि जब उनका खेल करियर शुरू हुआ, तो उस वक्त खेलों में वित्तीय पहलु पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था। स्वर्ण पदक जीतने पर एक हजार रूपये मिला करते थे, जो कि बहुत ज्यादा लगते थे। स्कूल की 65 रूपये फीस भरना भी भारी पड़ता था। आज खिलाड़ी प्रभावशाली तरीके से वित्तीय प्रबंधन कर रहे हैं। उनके साथ चर्चा में राहुल शुक्ला और राजा रमन ने भी भाग लिया।
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