उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने बीजेपी सरकार पर खोखले वादे और झूठे दावे करने का आरोप लगाया है। करन माहरा ने उत्तराखंड सरकार की ओर से पिछले दिनों अलग अलग तारीखों पर सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति के मुद्दे पर सरकार को घेरा। माहरा ने कहा कि सरकार ने नियुक्ति पत्र जारी किए जिनमें ब्रीफ होल्डर, स्टैंडिंग काउंसिल ,डिप्टी अटॉर्नी जनरल, सीनियर अटॉर्नी जनरल समेत कई पदों पर अधिवक्ताओं की नियुक्ति की गई है ,इन नियुक्तियों में धामी सरकार पर उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन महारा ने जातीय समीकरणों की अनदेखी का गंभीर आरोप लगाया है।
महारा ने कहा कि बहत्तर(72) अधिवक्ताओं की सूची में धामी सरकार को एक भी अनुसूचित जाति ,अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समाज का व्यक्ति इस काबिल नहीं मिला कि उसे सूची में शामिल किया जाता । महारा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पहले दिन से इस बात को कहती आई है कि बीजेपी दलित विरोधी और अखलियत विरोधी उनकी अनदेखी करने वाली पार्टी है कांग्रेस की उस बात पर धामी सरकार के द्वारा जारी सरकारी अधिवक्ताओं की इस सूची ने मोहर लगा दी है। महारा ने कहा कि जिस तरह से जारी की गई इन सूचियों में पिछड़े वर्ग के लोगों की अनदेखी की गई है वह निंदनीय ही नहीं भर्तसनीय भी है । महारा ने कहा कि ‘सबका साथ सबका विकास और सब का विश्वास’ का नारा देने वाली पार्टी पक्षपात और भेदभाव करने में अग्रणी है।
बीजेपी का संविधान में भरोसा नहीं- माहरा
महारा ने कहा कि जहां एक ओर भाजपा के द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर संविधान से इंडिया शब्द को हटाने की कवायद हो रही है ,जो इंडिया शब्द बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी की देन है उससे साफ परिलक्षित होता है कि भाजपा बाबासाहेब से किस हद तक नफरत करती है। महारा ने कहा कि निकट भविष्य में धामी सरकार को अपनी इस भूल का खामियाजा भुगतना पड़ेगा क्योंकि दलित एवं अल्पसंख्यक समुदाय में भी काबिल और पढ़े लिखे अनुभवी अधिवक्ताओं की कमी नहीं है। लेकिन जानबूझकर सोची समझी रणनीति के तहत उन्हें नियुक्तियों से बाहर रखना राज्य की भाजपा सरकार को महंगा पड़ेगा।
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