बागेश्वर उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार पार्वती दास की जीत हुई। जीत के बाद बीजेपी ने जगह जगह जश्न भी मनाया। देहरादून बीजेपी दफ्तर में भी आतिशबाजी हुई, ढोल बजे, डांस हुआ मिठाई खिलाई गई।
बीजेपी के ज्यादातर नेताओं ने इसे धामी के नेतृत्व, धामी के काम, धामी की धूम की जीत बताया मगर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कुछ ऐसा किया जो सीधे सीधे धामी पर सवाल या धामी की अनदेखी कहा जा सकता है। त्रिवेंद्र रावत ने क्या कहा वो काफी अहम हो जाता है जबकि बीजेपी के तमाम नेताओं ने धामी की तारीफों के पुल बांधने में कोई कसर ना छोड़ी हो। सबसे पहले देखिए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेंद्र भट्ट ने क्या कहा? महेंद्र भट्ट ने लिखा
“बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी श्रीमती पार्वती दास जी को विजयी होने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ एवं देवतुल्य जनता एवं कार्यकर्ताओं का आभार।
बागेश्वर विधानसभा की जनता ने केंद्र की नरेन्द्र मोदी जी एवं प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी जी की सरकार के विकास कार्यो एवं जनकल्याणकारी नीतियों पर मोहर लगाकर भारतीय जनता पार्टी पर अपना विश्वास प्रकट किया है।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी प्रदेश की सभी पाँचो लोकसभा सीटों पर विजयी होगी।
एक बार पुनः बागेश्वर विधानसभा की जनता एवं सभी भाजपा कार्यकर्ताओ को बहुत-बहुत बधाई।”
मंत्रियों में मतभेद!
बागेश्वर की जीत के बाद मंत्रियों के बयान भी अलग अलग आए हैं। कुछ मंत्रियों ने इसे खुले तौर पर धामी के नेतृत्व की जीत बताया तो कुछ ने धामी का नाम तक नहीं लिया। गणेश जोशी, सौरभ बहुगुणा, प्रेमचंद अग्रवाल, सुबोध उनियाल, रेखा आर्य ने इसे धामी की जीत माना है। ये सभी मानते हैं कि मोदी और धामी के नेतृत्व की वजह से ही जीत मिली है।
जबकि सतपाल महाराज और धन सिंह रावत ने इस जीत को लेकर अपनी पोस्ट में धामी का जिक्र तक नहीं किया। बड़ा सवाल ये है कि क्या महाराज और धन सिंह रावत को जीत का क्रेडिट धामी को देना सही नहीं लग रहा? क्या ये दोनों मंत्री मानते हैं कि जीत धामी की वजह से नहीं हुई?
सांसदों का हाल
बीजेपी के उत्तराखंड से लोकसभा में पांच सांसद हैं। पांचों सांसदों ने जीत की बधाई भी दी। मगर इनमें भी अलग अलग मत नज़र आया। अजय टम्टा, माला राज्यलक्ष्मी शाह और निशंक ने धामी का जिक्र किया है। हालांकि निशंक ने धामी को केवल बधाई दी है जबकि अजय टम्टा और रानी ने जीत का श्रेय धामी को दिया है।
दो सांसदों तीरथ रावत और अजय भट्ट ने अपनी पोस्ट में पुष्कर सिंह धामी का नाम लिया ही नहीं। क्या ये माना जाए कि ये दो सांसद बागेश्वर की जीत कोर्ट धामी से जोड़ना सही नहीं समझते? क्या धामी की लीडरशिप पर ये यकीन नहीं करते?
त्रिवेंद्र रावत का क्या रुख?
बागेश्वर की जीत पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने भी बधाई दीऔर उन्होंने इस जीत को सीधे सीधे कार्यकर्ताओं की जीत बताया। त्रिवेंद्र की पोस्ट में धामी का कहीं जिक्र नहीं है। यानि बीजेपी के जो नेता धामी को जीत का नायक बताने की कोशिश कर रहे हैं त्रिवेंद्र ने उन्हें भी आईना दिखाने की कोशिश की है। त्रिवेंद्र की पोस्ट से ये भी संकेत है कि क्या धामी की वजह से जीत की बात करने वाले सिर्फ अपनी सियासत चमका रहे हैं? सवाल ये भी है कि क्या त्रिवेंद्र रावत को धामी की लीडरशिप पर एतबार नहीं है? जो भी हो सियासी तौर पर बीजेपी में बहुत कुछ हो रहा है, ज्वालामुखी अभी शांत है मगर जिस तरह नतीजे आए हैं और जीत का अंतर महज 2405 वोट का है तो इस पर चिंतन मंथन होना तय है क्योंकि 2022 में चंदन रामदास करीब 12 हजार वोटों के अंतर से जीते थे।
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