पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मयूख महर को मनाने की उम्मीद अभी भी नहीं छोड़ी है। हरीश रावत ने भरोसा जताया है कि 2027 में मयूख महर कांग्रेस से ही चुनाव लड़ेंगे। हरीश रावत ने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा
कल अपने पिथौरागढ़ प्रवास के दौरान मैं अपने जीवन संघर्ष के एक साथी जिनके साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, महान कांग्रेस व्यक्तित्व लक्ष्मण सिंह महर की विरासत जुड़ी हुई है। जिनका पूरा परिवार और कुटुंब कांग्रेस का ध्वजवाहक हैं, उनके घर पर चाय पर मिलना चाहता था। मुझे खुशी है कि उन्होंने अपनी और अपने साथियों की दिल बात कहने के लिए मुझे एक वेडिंग पॉइंट पर बुलाया और वहां उन्होंने और उनके साथियों ने जिस गर्मजोशी के साथ मेरा स्वागत किया मैं हृदय से उनका आभारी हूं।
राजनीति की जीवन यात्रा में कभी ऐसे मुकाम आते हैं। जिन मुकामों पर कुछ लोग हमें नीचा दिखाने के लिए कुछ ऐसे निर्णय करते हैं जिससे व्यक्ति और व्यक्ति की निष्ठा आहत हो जाती है तो वह आहत हृदय के भाव कल मैंने सुने और परिवार के एक वरिष्ठ के नाते मेरा यह कर्तव्य है कि मैं अनुभव के निहितार्थ को समझूँ और समाधान निकालने का प्रयास करूँ।
मुझे बेहद खुशी है कि मयूख महर और उनके साथियों ने संघर्ष का उल्लेख किया और साथ-साथ विकास की योजनाओं की एक लंबी फेहरिस्त गिनाई और यह मेरा सौभाग्य है कि वह सब विकास की योजनाएं धरती पर उसी कालखंड में अवतरित हुई जब मैं उत्तराखंड का मुख्यमंत्री था। एक कृतज्ञ हरीश रावत ने पिथौरागढ़ और लक्ष्मण सिंह महर के परिवार का सम्मान किया और लोगों ने कहा कि उस कालखंड में इतने विकास के काम हुए हैं कि भूतो न भविष्यति और सत्यता यह है कि जब आज की सरकार की तुलना होती है तो पूरे पिथौरागढ़ जनपद, चंपावत, अल्मोड़ा और धौला देवी में उसे कालखंड में जितने विकास के काम हुए हैं वह तुलनात्मक रूप से इतने आगे हैं कि आने वाले लोगों के लिए उन तक पहुंचाना बहुत कठिन है। लोग हरीश रावत के कार्यकाल की, दूसरे कार्यकालों से भी तुलना करें। आपदा और राजनीतिक आपदा को झेलते हुए मैं अपने बुनियादी कर्तव्य को नहीं भूला। मेरी सरकार ने हमारे साथियों के सहयोग से वह किया जो करना हमारा प्रथम कर्तव्य था जिसकी अपेक्षा मुझे मेरी नेता सोनिया गांधी जी और राहुल गांधी जी ने की।
मैं, मयूख का बहुत आभारी हूं। उन्होंने कई बार मुझे गुरु बताया है और संघर्ष को मुझसे ही सीखने की बात कही है तो मैंने हमेशा कांग्रेस झंडा थाम कर ही संघर्ष किया है। यदि वह मुझे गुरु मानते हैं तो मैं ऐसा गुरु भी नहीं बनना चाहता, द्रोणाचार्य जी के तरीके से जिन्होंने अपने एक कुशल शिष्य का अंगूठा कटवा दिया था। मैं चाहता हूं कि श्री मयूख महर अपने पूरे अनुभव, कुशलता और संघर्ष की शक्ति के साथ 2027 में कांग्रेस को पूरे इस संसदीय क्षेत्र में वापस लाने की अगुवाई करेंगे और इस “झूठ-लूट और फूट” की सरकार से इस राज्य को मुक्ति दिलाने के लिए आगे आएं।
मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि उन्होंने और उनके साथियों ने लगभग 40 मिनट मेरे भाषण को सुना और जब भी मैंने कांग्रेस को ताकत देने का आवाह्न किया तो तालियां बजा कर मेरा उत्साह वर्धन किया। खून, पानी से गहरा होता है। श्री मयूख महर और उनके साथियों के रग में “कांग्रेस का खून” है। इसलिए मैं पूरी आशा के साथ पिथौरागढ़ से डीडीहाट होते हुए धारचूला पहुंच गया हूं और मेरे साथ इस यात्रा में मेरे साथी के रूप में एक हमारा बहुत ही महत्वपूर्ण योद्धा हरीश धामी हैं। वो हमको ले चल रहे हैं।
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