15 July 2025

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चुनाव में सत्ता के संरक्षण का एक और केस, रुद्रप्रयाग में बीजेपी के वारंटी नेता को दे दी चुनाव लड़ने की इजाजत, कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर उठाए सवाल

चुनाव में सत्ता के संरक्षण का एक और केस, रुद्रप्रयाग में बीजेपी के वारंटी नेता को दे दी चुनाव लड़ने की इजाजत, कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर उठाए सवाल

जिला पंचायत चुनाव में राज्य निर्वाचन आयोग की भूमिका सवालों के घेरे में है। रुद्रप्रयाग में भी एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें आयोग की निष्पक्षता को लेकर गंभीर सवालिया निशान हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सत्ता के संरक्षण में एक ऐसे नेता को चुनाव लड़ने की इजाजत दी गई है जिसने कई नियमों का उल्लंघन किया है और संवैधानिक तौर पर वो चुनाव लड़ने के योग्य नहीं हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सुमंत तिवारी ने रुद्रप्रयाग जिले के ल्वारा वार्ड से जिला पंचायत सदस्य के लिए बीजेपी के घोषित प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया है। जबकि दिनांक 28.10.2020 को ज़िलाधिकारी, रुद्रप्रयाग सुमंत तिवारी पर अवैध और अधिक खनन करने पर ₹23,12,285/- तथा ₹1,05,615/- का कुल ₹24,17,900/- का जुर्माना लगाया था।

2. 09.08.2021 को ज़िलाधिकारी, रुद्रप्रयाग ने सुमंत तिवारी की ₹26,59,690/- की वसूली प्रमाण पत्र (RC) जारी की दी। बाद में उनका वारंट भी कट गया।

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3. ये कि उपरोक्त देनदारी के बावजूद सुमंत तिवारी ने ज़िला पंचायत सदस्य के पद हेतु नामांकन प्रस्तुत किया, जबकि नामांकन पत्र में साफ उल्लेख करना होता है कि मुझ पर कोई वसूली नहीं है।

4 NSUI के तनुज पुरोहित और अन्य ने निरंतर अपात्रता के आधार पर उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम, 2016 की धारा 9(1)(e) के अंतर्गत नामांकन निरस्त करने हेतु ज़िला निर्वाचन अधिकारी, रुद्रप्रयाग के समक्ष लिखित आपत्ति प्रस्तुत की।

5. यह कि दिनांक 11.07.2025 को निर्वाचन अधिकारी द्वारा उक्त आपत्ति यह कहते हुए अस्वीकार कर दी गई कि मामला उच्च न्यायालय में लंबित है, जबकि वास्तविकता यह है कि उच्च न्यायालय ने अभी तक कोई स्थगनादेश पारित नहीं किया है।

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6. ज़िला निर्वाचन अधिकारी, रुद्रप्रयाग ही ज़िलाधिकारी, रुद्रप्रयाग भी हैं, जिन्होंने दिनांक 28.10.2020 का दंडादेश एवं 09.08.2021 का वसूली प्रमाण पत्र पारित किया था और इस प्रकार उन्हें सुमंत तिवारी की देनदारी की विधिक एवं संस्थागत जानकारी थी।

7. ये कि दोहरी भूमिका में होने के कारण, ज़िलाधिकारी/निर्वाचन अधिकारी का कर्तव्य था कि वे इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए अपात्रता की पुष्टि करें एवं नामांकन अस्वीकार करें, जो उन्होंने नहीं किया।

8. सुमंत तिवारी का ये कदाचार नया नहीं है। उन्होंने मार्च 2022 में संपन्न हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भी भाग लिया था, और 27.01.2022 को धारा 33A RP अधिनियम, 1951 के तहत Form-26 में शपथपत्र प्रस्तुत किया था।

9. यह कि उक्त शपथपत्र में उन्होंने ₹23,60,000/- की निजी ऋण देनदारी तो दर्शाई, लेकिन ₹26,59,690/- की सरकारी देनदारी का कोई उल्लेख नहीं किया, जबकि यह देनदारी वसूली प्रमाण पत्र द्वारा प्रमाणित एवं लागू थी।

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10. ये कि यह तथ्यात्मक छुपाव एवं झूठा शपथपत्र है, जो RP अधिनियम, 1951 की धारा 125A एवं भारतीय दंड संहिता/भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 177, 181, 191, 193 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है।

11.सुमंत तिवारी विभिन्न अधिनियमों के अंतर्गत दंडनीय हैं, जिनमें शामिल हैं:

* जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125A;

* भारतीय दंड संहिता/न्याय संहिता ;

* उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम, 2016 एवं उसके अंतर्गत बनाए गए नियम।

12.सुमंत तिवारी के खिलाफ झूठे शपथपत्र प्रस्तुत करने, तथ्य छिपाने और बार-बार चुनावी अपात्रता को नजरअंदाज करने के लिए दंडात्मक और कानूनी कार्यवाही आवश्यक है और उन्हें चुनाव प्रक्रिया से बाहर किया जाना न्यायोचित एवं विधिसम्मत होगा।