देहरादून जिले के झाझरा क्षेत्र से एक ऐसी मार्मिक घटना सामने आई है, जिसने फाइनेंस कंपनियों की संवेदनहीनता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. पति की मौत के बाद संघर्ष कर रही एक महिला से न केवल जबरन लोन वसूली की गई, बल्कि उसका आशियाना भी छीन लिया गया. मगर जब देहरादून के डीएम सविन बंसल को इसकी भनक लगी, तो उन्होंने जो कदम उठाया, उससे पूरे शहर में हलचल मच गई। दरअसल झाझरा की निवासी प्रिया के पति विकास ने अप्रैल 2024 में न्यू कैंट रोड स्थित सीएसएल फाइनेंस लिमिटेड से 6.5 लाख रुपये का होम लोन लिया था। कंपनी के निर्देश पर ऋण (Loan) के साथ टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस से बीमा भी कराया गया था. बीमा के सभी नियमों का पालन करते हुए मेडिकल जांच समेत सारी प्रक्रियाएं पूरी की गई थीं. लेकिन जुलाई 2024 में विकास की अचानक मौत हो गई. घर की जिम्मेदारियां प्रिया के कंधों पर आ गईं. 4 बच्चियों की देखभाल और रोजमर्रा की जरूरतों के बीच लोन चुकाना प्रिया के लिए संभव नहीं था. उन्होंने कंपनी से मदद की गुहार लगाई और बीमा से कर्ज की भरपाई करने की अपील की.
विधवा महिला पर टूटा मुसीबतों का पहाड़
जहां एक तरफ इंसानियत की उम्मीद थी, वहीं फाइनेंस कंपनी ने ठीक उल्टा रवैया अपनाया. लोन का बीमा होने के बावजूद कंपनी ने बीमा क्लेम का प्रोसेस शुरू नहीं की, बल्कि एजेंटों को भेजकर विधवा महिला को परेशान करना शुरू कर दिया. यही नहीं, कुछ ही समय बाद प्रिया का घर (loan Recovery) भी जब्त कर लिया गया.
डीएम सबिन बंसल ने लिया कड़ा एक्शन
11 जुलाई को प्रिया अपनी बच्चियों के साथ DM सविन बंसल (DM Action) की जनसुनवाई में पहुंचीं. वहां उन्होंने अपने ऊपर टूटे संकट और फाइनेंस कंपनी की प्रताड़ना की पूरी कहानी सुनाई. मामले की गंभीरता को समझते हुए डीएम सबिन बंसल ने तुरंत जांच के आदेश दिए. अगले ही दिन कंपनी की आरसी (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) रद्द कर दी गई और 18 जुलाई तक प्रिया का घर लौटाने और नो-ड्यूज सर्टिफिकेट देने के निर्देश दिए गए।
सीएसएल का देहरादून ऑफिस सील
कंपनी द्वारा आदेशों की अनदेखी करने पर बीते सोमवार को प्रशासनिक टीम ने कड़ा कदम उठाया. सीएसएल फाइनेंस लिमिटेड की न्यू कैंट रोड स्थित शाखा को सील कर दिया गया. यही नहीं, अब कंपनी की संपत्ति को नीलाम करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. डीएम सविन बंसल की इस सख्ती से उन एनबीएफसी कंपनियों में हड़कंप मच गया है, जो लोगों को कर्ज के नाम पर मानसिक और आर्थिक उत्पीड़न का शिकार बना रही थीं। ये कदम न केवल पीड़ित महिला के लिए न्याय की जीत है, बल्कि फाइनेंस कंपनियों के लिए एक सख्त संदेश भी।
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