अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को देशभर से लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि बड़े पैमाने पर पात्र नागरिकों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं और अपात्र लोगों के नाम जोड़कर सुनियोजित तरीके से वोट चोरी की जा रही है। कांग्रेस की जाँच में यह स्पष्ट हो गया कि ये कोई तकनीकी भूल नहीं, बल्कि लोकतंत्र को बंधक बनाने की संस्थागत साज़िश है—लोकतंत्र की सीधी हत्या है यह बात आज अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सीडब्लूसी सदस्य गुरदीप सप्पल ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जब इस गंभीर घोटाले की शिकायत चुनाव आयोग से की, तो आयोग ने जाँच के बजाय शिकायतकर्ताओं पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। संविधान ने चुनाव आयोग को जनता के अधिकारों की रक्षा और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी है।
लेकिन आज आयोग का रवैया लोकतंत्र की रक्षा करने वाले संवैधानिक निकाय का नहीं, बल्कि सत्ता की कठपुतली जैसा है। सप्पल ने कहा कि वोट चोरी को “नियमित प्रक्रिया” बताना न केवल बेशर्मी है, बल्कि जनता के अधिकारों पर सीधा डाका है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी स्पष्ट करना चाहती है कि यह अभियान केवल प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि लोकसभा में नेता विपक्ष श्री राहुल गाँधी के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्रीय आंदोलन का हिस्सा है। बिहार से लेकर उत्तराखंड और देश के हर कोने में कांग्रेस कार्यकर्ता जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। लोकतंत्र की हत्या करने वाली ताकतों के खिलाफ यह हमारी साझा लड़ाई है और हम इसे किसी भी कीमत पर वोट चोरी को सफल नहीं होने देंगे। श्री सप्पल ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता विपक्ष श्री राहुल गाँधी के द्वारा वोट चोरी के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान के तहत, उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने “मेरा वोट – मेरा अधिकार” अभियान चलाया और राज्य के सभी 99 नगर निकायों में व्यापक जनसंपर्क और जनजागरण किया। लक्ष्य था कम से कम 2000 आरटीआई डालना, लेकिन जनता के अपार समर्थन से 2500 से अधिक आरटीआई कांग्रेस के पास उपलब्ध हैं। हजारों नागरिकों ने स्वतंत्र रूप से भी आरटीआई दायर की हैं। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद आयोग की तरफ से अब तक सिर्फ 136 जवाब आए हैं—वे भी टालमटोल और अस्पष्टता से भरे हुए। यह जनता को गुमराह करना और सूचना के अधिकार कानून का खुला उल्लंघन है। कांग्रेस इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगी और कानूनी लड़ाई लड़ेगी।
इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर मतदाता सूची का सत्यापन किया और जिनके नाम गायब पाए गए, उन्हें अपने अधिकारों की रक्षा के लिए प्रेरित किया। दो महीने चले इस अभियान में लाखों मतदाताओं से प्रत्यक्ष संवाद हुआ और सैकड़ों बैठकों व प्रेस वार्ताओं से व्यापक जनभागीदारी सुनिश्चित हुई।
• निर्वाचन आयोग से जानकारी प्राप्त करने हेतु लगभग 2,500 आरटीआई आवेदन दायर किए गए। लेकिन केवल 136 जवाब मिले, जिनमें से अधिकांश में जानकारी को अन्य विभागों पर टाल दिया गया। यह साफ़ तौर पर सूचना का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है। श्री माहरा ने कहा कि
• प्रक्रिया में कई बाधाएँ भी सामने आईं—जैसे हरिद्वार जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा आरटीआई स्वीकारने से इनकार (जो विरोध के बाद माना गया) और डाकघरों में 10 रुपये का पोस्टल ऑर्डर उपलब्ध न होना। यदि ये बाधाएँ न होतीं, तो आवेदन संख्या 10,000 से अधिक हो सकती थी।
जनवरी 2025 के शहरी निकाय चुनावों में मतदाता सूची की गड़बड़ियाँ उजागर हुईं। अनेक नागरिक जिन्होंने लोकसभा चुनाव में मतदान किया था, उनके नाम निकाय चुनावों की सूची से हटा दिए गए। संविधान का अनुच्छेद 326 स्पष्ट करता है कि 18 वर्ष से अधिक आयु का प्रत्येक नागरिक मतदान का अधिकार रखता है। फिर भी, देहरादून नगर निगम चुनाव में अगस्त 2024 की सूची से लगभग 96,000 नाम हटाए गए। बाद में संख्या बढ़ाई गई, लेकिन चुनाव से मात्र तीन दिन पहले 32,000 नाम दोबारा काट दिए गए। ऐसे कदम पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने कहा कि मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया स्पष्ट है—
• फॉर्म 6: नया नाम जोड़ने/स्थान परिवर्तन हेतु।
• फॉर्म 7: नाम हटाने हेतु, प्रमाण और BLO जांच के बाद।
• फॉर्म 8: जानकारी सुधारने या मतदान केंद्र परिवर्तन हेतु।
लेकिन निकाय चुनावों में धांधली उजागर होने के बाद भी आयोग ने गंभीरता नहीं दिखाई। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पंचायत चुनावों के लिए विशेष सावधानी बरतने की माँग की थी, जिनमें—
1. सभी पात्र मतदाताओं के नाम शामिल करना।
2. मृतक/स्थानांतरित व्यक्तियों के नाम हटाना।
3. शहरी निकाय सूची से नाम हटाकर ग्राम पंचायत सूची में गलत तरीके से न जोड़ना।
4. सामूहिक स्थानांतरण (Mass Migration) पर विशेष निगरानी रखना। फिर भी पंचायत चुनावों में गंभीर त्रुटियाँ सामने आईं, जो लोकतंत्र के लिए चिंताजनक हैं। कांग्रेस पार्टी लोकतंत्र में गहरा विश्वास करती है। संविधान सभा में कांग्रेस के बहुमत और डॉ. भीमराव आंबेडकर व पंडित नेहरू जैसे नेताओं की दृष्टि का ही परिणाम है कि भारत ने स्वतंत्रता के तुरंत बाद ही बिना किसी भेदभाव के सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार दिया। यह उस समय ऐतिहासिक कदम था, जब दुनिया के कई देशों में नागरिकों को इस अधिकार के लिए दशकों तक संघर्ष करना पड़ा।
• ब्रिटेन: महिलाओं को मतदान का अधिकार 1928 में मिला।
• अमेरिका: अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिकों को 1965 में भेदभाव रहित मताधिकार मिला।
• फ्रांस: महिलाओं को 1944 में अधिकार मिला।
• स्विट्ज़रलैंड: महिलाओं को 1971 में अधिकार मिला।
• भारत: 1950 में ही सभी नागरिकों को अधिकार मिल
गया। मतदान का अधिकार लोकतंत्र का सबसे बड़ा स्तंभ है। भारत ने इसे स्वतंत्रता के साथ ही जनता का मूल अधिकार बना दिया। अब यह सभी नागरिकों, राजनीतिक दलों और संवैधानिक संस्थाओं, विशेषकर चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वे इसकी रक्षा करें। माहरा ने कहा कि अब उत्तराखंड में कांग्रेस कमर कस कर वोट चोरी के खिलाफ व्यापक अभियान चलाएगी और आने वाले 2027 के विधानसभा चुनावों में वोटों की चोरी रोकेगी और फिर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की कांग्रेस सरकार बनेगी। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि कांग्रेस पार्टी लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले सभी नागरिकों से अपील करती है कि यदि पंचायत चुनाव की मतदाता सूची में किसी भी प्रकार की अनियमितता दिखाई दे, तो कांग्रेस से संपर्क करें और इस संघर्ष का हिस्सा बनें।
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