भाकपा माले राज्य कमेटी सदस्य कॉमरेड के के बोरा ने आज उत्तराखंड के ऊधमसिंहनगर जिले के काशीपुर के अल्ली खां मोहल्ले का दौरा किया । और आम लोगों से मुलाकात कर खैरियत जानी। ये इलाका उस समय सुर्खियों में आ गया था जब आई लव मोहम्मद के बैनर के साथ जलूस निकाल रहे मोहल्ले के युवकों को पुलिस ने लाठी चार्ज कर संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज कर लिए।
दिनांक 21सितंबर 2025 को निकला ये जलूस 19 सितंबर के एक ऐसे ही जलूस के बाद निकाला गया था। 19 तारीख को यह जलूस अल्ली खां मोहल्ले में शांतिपूर्ण संपन्न हुआ था।
21सितंबर का जलूस पुलिस के रोके जाने के बाद7 व्यक्तियों की गिरफ्तारी हुई। हालांकि पुलिस का कहना है कि पुलिस वाहन 112 के शीशे पर हुए हमले के बाद और कुछ पुलिस कर्मी के साथ मारपीट के बाद लाठी चार्ज किया गया। लेकिन जिस तरीके पुलिस ने घटना के बाद धरपकड़ और मुस्लिमों को सामूहिक रूप से दंडित करने का व्यवहार दिखाया वह आदर्श पुलिस मेन्युअल के विपरीत साम्प्रदायिक चरित्र को दिखाता है। बगैर किसी आदेश व पूर्व सूचना नोटिस के अभाव में नगर निगम के बुलडोजर से मोहल्ले की मुस्लिम दुकानों के आगे नाली के ऊपर के फूट स्टेप्स को तोड़ा गया । कई जगह पर बल प्रयोग के दवाब में पुराने बिजली के मीटरों की जगह विवादास्पद अडानी के स्मार्ट मीटर लगवाए गए। पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स के विरुद्ध गिरफ्तारियों को अमानवीय तौर से किया तथा सबक सिखाने वाले अंदाज से गिरफ्तारियों के वीडियो बनाए और सोशल मीडिया में प्रचारित प्रसारित किए।
पुलिस ने दर्ज एफआईआर और प्रेस बयानों में कहा कि बिना अनुमति जलूस को रोका गया। लेकिन पुलिस यह नहीं बताती कि शहर में निषेधाज्ञा लागू नहीं थी ऐसे में शांतिपूर्ण जलूस हेतु अनुमति की है दरकार कानूनन जरूरी नहीं होती। स्पष्ट है कि शांतिपूर्ण जलूस पर बल प्रयोग कर रुकावट की कार्यवाही पुलिस द्वारा की गई जो कि अनावश्यक था। पुलिस ने 3 नामजद समेत 400-500 अज्ञात का मुकदमा दर्ज किया है। घटना के बाद पुलिस द्वारा सत्यापन के नाम पर घर घर तलाशियां और छापेमारी के चलते समूचे मोहल्ले व शहर में मुस्लिम समाज में भय व्याप्त हो गया। पुलिस के द्वारा इतनी बड़ी संख्या में मामल में उपद्रवी बताना निर्दोषों के दमन की संभावना को पुख्ता कर देता है। जबकि जलूस पुलिस की गैर जिम्मेदारी से ही बवाल के रूप में सामने लाया गया है । ये एक तरह से पुलिस द्वारा जानबुझ कर फेब्रीकेशन कर अपराध प्रदर्शित करने का तरीका है।
अभी तक 33 गिरफ़्तारी हुई है जिनमें 13 नाबालिग शामिल है। पुलिस का पूछताछ के नाम पर पकड़ना डराए जाने का व्यवहार नौजवानों बच्चों को निशाना बना रहा है।
आज भी मोहल्ले में पुलिस की मौजूदगी मुख्य चौराहे पर है।जबकि मोहल्ले के शुरू होते ही ठीक पूरब दिशा में पुलिस चौकी बांसफोड़ान वर्षों से कायम है। मोहल्ले का पश्चिमी दूसरा सिरा किला मोहल्ले से जुड़ा हुआ है और पूरबी सिरा महेशपुरा मोहल्ले से जुड़ा है। और उक्त दोनों ही मोहल्ले सघन मिश्रित हिंदू मुस्लिम आबादी के है। किसी भी मोहल्ले में आज भी पहले की तरह कोई सांप्रदायिक विद्वेष नहीं है। लेकिन जिस तरह से बुलडोजर की कार्यवाही सिर्फ अल्ली खां मोहल्ले में हुई है वह जरूर पुलिस के संप्रदायिक व्यवहार पर प्रश्न खड़ा कर देती है।
जिलाधिकारी ने 24 सितम्बर को मोहल्ले का दौरा किया है लेकिन वे भी पुलिस के बुरे बर्ताव को कानून विरुद्ध नहीं बता सके। उल्टा उन्होंने अल्ली खां मोहल्ले व आस पास के हाउस टैक्स, दुकानों के लाइसेंस जांच के साथ ही क्षेत्र में रह रहे लोगों का सत्यापन करने, वोटर लिस्ट सत्यापन, विद्युत संयोजनों, पेयजल संयोजनों व राशन कार्डों का शतप्रतिशत सत्यापन करने के निर्देश दिए।
जो कि इस माहौल में जरूरी नहीं है। मुस्लिम आबादी पर मलहम लगाने के बजाय नए तरीकों से हैरान परेशान अनावश्यक दबाव बढ़ा कर सरकार की नफ़रती नीति को सामने लाने की ही कार्यवाही है।
21 सितंबर के बाद से अल्ली खां की अधिकांश दुकानें प्रशासन की कार्रवाई से बंद थीं। जो कि हफ्ते भर बाद खुलनी शुरू हुई हैं। करीब 70 के लगभग ठेले भी हटवाए थे। जो कि अभी तक भी वापस लगने शुरू नहीं हो सके हैं
इन छोटे गरीब दुकानदारों को भय है कि दुकान लाइसेंस के नाम पर या सत्यापन उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही की जा सकती है। गौर तलब है कि दुकान का लाइसेंस पंजीयन की कानूनी विधि को उत्तराखण्ड सरकार पूर्व में में ही शून्य कर चुकी है। ऐसे में श्रम विभाग में बनने वाला दुकान पंजीयन बंद है।
इतना जुल्म झेलने देखने के बाद भी मोहल्ले वासी खुलकर बोलने से हिचकते है। वे समझते हैं कि देश में मोदी सरकार के काल में मुस्लिमों के साथ दमन उत्पीड़न एक आम व्यवहार हो चुका है।
पेपर लीक आंदोलन की तासीर से घबराई राज्य सरकार के लिए अल्ली खां मोहल्ले के मुस्लिम बाशिंदे नफरत बटवारा के लिए एक मौका बनाए जाने की पुरजोर कोशिश को बताता है जहां सरकार के संप्रदायिक एजेंडे को पुलिस को मोहरा बना लागू करने की भी एक कोशिश दिखती है, मगर तमाम मुस्लिम दमन की वीडियो के वायरल होने के बावजूद मुस्लिम विरोधी आम माहौल के फैलाने काशीपुर नगर की जनता ने इसमें शामिल होने से इनकार दिखाया । अल्ली खां मोहल्ले पुलिस दमन का एक नया पेज बन गया।
1-भाकपा माले 21सितंबर 2025 की अल्ली खां मोहल्ले में हुए प्रकरण की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच आयोग गठन कर पुलिस की संदेहास्पद संप्रदायिक भूमिका की जांच की मांग करता है।
2-भाकपा माले सभी निर्दोष बच्चों नौजवानों की तत्काल रिहाई की मांग करता है। मोहल्ले में अनावश्यक दबाव दबिश ओर मुस्लिम आबादी को भयाक्रांत करने की संप्रदायिक पुलिस व प्रशासनिक नगर निगम , विद्युत विभाग की कोशिशों अभियानों पर तत्काल रोक लगाने की मांग करता है।
3- राज्य की धामी सरकार काशीपुर क्षेत्र के मुस्लिमों के साथ भयादोहन की नीति छोड़ नागरिक अधिकारों की बहाली की गारंटी करे ।

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