पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की तहरीर पर देहरादून की पुलिस ने चार घंटे बाद एफआईआर दर्ज की। इसे लेकर हरीश रावत ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। हरीश रावत ने कहा पुलिस इतनी मजबूर है कि 4 घंटे लग गए उनको हमारी एक सीधी-सी शिकायत को FIR दर्ज करने में, उसमें भी अपराधियों को अज्ञात बता दिया, जबकि हम शिकायत पत्र में अपराधी चिन्हित करके बता रहे हैं।

बड़े कांपते हुए हाथों से, क्योंकि हमारी शिकायत में AI का मेरे खिलाफ दुरुपयोग करने और मुझको पाकिस्तानी जासूस बताने, एक देशद्रोही बताने का जिन लोगों ने अपराध किया है, उन अपराधियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने में पुलिस कांप रही थी। 4 घंटे बाद कांपते हाथों से उन्होंने FIR दर्ज की।
मैं थाना साइबर क्राइम भी गया और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक साइबर क्राइम से भी मिला, जो STF के हेड भी हैं। मैंने उनसे भी कहा कि इन्होंने मुझे पाकिस्तानी जासूस बताकर के न केवल मेरी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि इन्होंने मेरी जिंदगी के लिए भी खतरा पैदा कर दिया है। क्योंकि जो भी उसको देखेगा, उसके मन में मेरे लिए नफरत पैदा होगी और उस नफरत का परिणाम घातक भी हो सकता है और मैंने कहा, आप उसे पकड़िए।
यही बात कहने के लिए मैं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून के पास भी गया। SSP किसी क्राइम के प्रेजेंटेशन में व्यस्त थे या कुछ और बात थी, मैं नहीं जानता। एसपी सिटी देहरादून मेरे पास आए और उन्होंने मेरी SSP से फोन पर बात करवाई। लेकिन बहरहाल, उन्होंने मुझसे टेलीफोन पर जो बात की, मैंने उन्हें भी स्पष्ट तौर पर बताया है कि इसका क्या परिणाम हो सकता है। बल्कि मैंने अपने लोगों से कहा है, मेरे उनसे बातचीत का वीडियो जरूर वायरल करें, ताकि सनद रहे, लोगों को मालूम रहे कि हरीश रावत ने इस खतरे के लिए आगाह किया था। बाकी जिंदगी और मौत भगवान के हाथ में है, जब उसने लिखा होगा। मगर जिस तरीके से मुझे बदनाम करने की, मेरे लिए घृणा पैदा करने की कोशिश की गई है, वो एक खतरनाक कदम है और उस कदम के खिलाफ मेरे मन में बहुत आक्रोश है।
इसलिए मैंने तय किया है कि इसका भंडाफोड़ ही नहीं करूंगा, बल्कि जो मैंने 7 दिन भाजपा कार्यालय पर जाने की बात कही है, 25 दिसंबर को दोपहर 1 बजे भाजपा कार्यालय पर जाकर उनसे कहूंगा कि जो कुछ तुमने सोशल मीडिया में डाला है और जो झूठ बोले हैं—2017 का भी, 2022 का भी इसका प्रमाण दो।

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