17 December 2025

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हल्द्वानी हिंसा पर राज्यपाल से शिकायत

हल्द्वानी हिंसा पर राज्यपाल से शिकायत

हल्द्वानी में 8 फरवरी को हुई हिंसा के मुद्दे पर कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन से जुड़े सियासी दलों ने राज्यपाल से शिकायत की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा और  निष्पक्ष जांच की मांग की। विपक्ष ने हाइकोर्ट के सिटिंग या रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच कराने की अपील की है। हिंसा को लेकर प्रशासन की नाकामी पर भी सवाल उठाए गए हैं।

विपक्ष की मांग का पूरा ब्यौरा

हल्द्वानी में दिनांक 08 जनवरी 2024 को हुई घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. इंडिया गठबंधन और सिविल सोसाइटी हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा करते हैं और शांति कायम करने की अपील करते हैं.
उत्तराखंड के इतिहास में इस तरह की हिंसा की घटना पहली बार हुई है. अचानक इतने बड़े पैमाने पर हिंसा का फैलना, हिंसा के कारणों और उसके होने की परिस्थिति की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच की जरूरत है.
अतः हम यह मांग करते हैं कि इस घटना की न्यायिक जांच, उच्च न्यायलय के सेवारत अथवा सेवानिवृत्त न्यायाधीश से करवाई जाए.
इतनी भीषण हिंसा की घटना में प्रथम दृष्टया प्रशासन की लापरवाही, जल्दबाजी, निष्पक्षता और बल प्रयोग करने को लेकर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं. अतः नैनीताल जिले के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को तत्काल निलंबित करते हुए पद से हटाया जाए.
महामहिम, अतिक्रमण हटाओ अभियान के नाम पर पिछले एक साल से चल रही कार्यवाहियां गंभीर सवालों के घेरे में हैं. बिना नोटिस के कार्यवाही से लेकर पक्षपातपूर्ण और गैर कानूनी कार्यवाही तक की घटनाएँ सामने आई हैं.जिस प्रकरण में हल्द्वानी में हिंसा हुई है, वह मामला उच्च न्यायलय में विचाराधीन है और उसकी अगली तारिख 14 फरवरी 2024 को है. इसके बावजूद ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की कोशिश हुई. इस तरह की निरंकुश कार्यवाही पर रोक लगनी चाहिए. किसी भी कार्यवाही को करते हुए पुनर्वास, नोटिस, सुनवाई और संवेदनशीलता का ध्यान रखा जाना चाहिए. किसी को भी बेघर नहीं किया जाना चाहिए. महामहिम, भीषण हिंसा की इस घटना से निपटने की नाम पर भीषण पुलिसिया प्रतिहिंसा नहीं होनी चाहिए. इस घटना से निपटने के नाम पर होने वाली हर कार्यवाही कानून और संविधान के दायरे के अंदर होनी चाहिए. आपसे निवेदन है कि राज्य सरकार और प्रशासन को निर्देशित करें कि उनकी कोई भी कार्यवाही संविधान और कानून के दायरे में ही हो।

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