21 November 2024

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जातीय जनगणना पर गुरुदीप सप्पल ने संभाला मोर्चा

जातीय जनगणना पर गुरुदीप सप्पल ने संभाला मोर्चा

जातिगत जनगणना के मद्देनजर राष्ट्रीय स्वयं संघ और कांग्रेस आमने-सामने दिखाई दे रहे हैं। आरएसएस के जाति जनगणना पर बयान आने के बाद कांग्रेस ने संघ को कठघरे में खड़ा कर दिया है। जाति जनगणना को लेकर सयासी जंग छिड़ी हुई है। कांग्रेस ने जाति जनगणना को देश में एक बड़ा मुद्दा बना दिया। तो वहीं पहली बार आरएसएस इस मुद्दे पर अपना रुख बदल लिया है। आरएसएस के जाति जनगणना के बयान पर कांग्रेस नेता गुरदीप सप्पल ने मोर्चा संभाल लिया है।

पार्टी के प्रशासन प्रमुख गुरदीप सिंह सप्पल ने कहा है कि आरएसएस राहुल गांधी का दबाव महसूस कर रही है। यह पूरा देश देख रहा है। उन्होंने ने आगे कहा कि खानापूर्ति के लिए आरएसएस ने राहुल के दबाव में कुछ जातियों के वेलफ़ेयर की बात की।लेकिन हम सशक्तिकरण की राह में हैं। आरएसएस जातिगत जनगणना विरोधी है।

आरएसएस जवाब दे- सप्पल

कांग्रेस नेता गुरदीप सिंह सप्पल ने आगे कहा दिक्कत यह है कि आरएसएस का यह बयान इतना उलझा हुआ है कि कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जब आरएसएस से पूछा कि क्या वो जाति जनगणना के पक्ष में है या विरोध में है ? इस सवाल पर अब तक आरएसएस का जवाब सामने नहीं आया। उन्होंने आगे कहा कि आरएसएस का बयान है कि कुछ जातियां, सब जातियां नहीं, कुछ जातियां, कुछ समुदाय जो पिछड़े हुए हैं। उनकी गिनती के पक्ष में है। ये जाति जनगणना की बात नहीं हुई है। जाति जनगणना का मतलब है कि देश में सभी जातियों की गणना होनी चाहिए।

RSS को डर क्यों ?

गुरदीप सिंह सप्पल ने कहा कि आरएसएस अभी डर-डर के धीरे-धीरे आगे बढ़ी, लेकिन अभी भी उनकी हिम्मत यह नहीं हुई कि वो यह बोले कि सभी जातियों की गणना की जाएगी। खानापूर्ति के लिए आरएसएस ने राहुल के दबाव में कुछ जातियों के वेलफेयर की बात की है। लेकिन हमारे लिए जाती जनगणना सशक्तिकरण के लिए है। सप्पल ने आगे कहा कि आरएसएस जाति जनगणना से इसीलिए घबराती है। क्योंकि उसे जाति व्यवस्था में यकीन है।

RSS ने क्या कहा था ?

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने जाति जनगणना पर 3 सितंबर को बड़ा बयान दिया था, उन्होंने कहा, हिंदू समाज में जाति और जाति संबंध एक संवेदनशील मामला है। ये राष्ट्रीय एकता के लिए अहम मुद्दा है। इसलिए इसे गंभीरता से देखा जाना चाहिए। इसे चुनावी मुद्दे और राजनीति मुद्दे की तरह नहीं देखना चाहिए।