उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के मामले में विजिलेंस ने फिलहाल हाथ खड़े कर दिए हैं। विजिलेंस ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में गणेश जोशी के खिलाफ जांच करने में असमर्थता जताई है। लिहाजा कोर्ट को चिट्ठी लिखकर जोशी के खिलाफ दी गई शिकायत को खारिज करने की अपील की है।
विजिलेंस की ओर से जांच के लिए सरकार की परमिशन न मिलने का हवाला भी दिया गया है। विजिलेंस ने साफ किया है कि जब तक सरकार का आदेश नहीं आएगा तब तक किसी की भी जांच संभव नहीं है। इसीलिए गणेश जोशी की जांच कराने से जुड़ी शिकायत पर भी वो कुछ नहीं कर सकते। अदालत को ये चिट्ठी 16 जून को लिखी गई थी।
दरअसल एक्टिविस्ट और कांग्रेस नेता पंकज सिंह क्षेत्री ने गणेश जोशी पर आय से अधिक संपत्ति और उनके विभागों में गड़बड़ी का हवाला देकर विजिलेंस से जांच की मांग की है साथ ही नैनीताल हाईकोर्ट में भी मंत्री की जांच कराने से जुड़ी याचिका दी है। इसी शिकायत पर अब विजिलेंस ने जांच न करने की बात कही है और अपनी मजबूरी भी गिनाई है। इसीलिए अब सीधे सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकार ही मंत्री को बचा रही है? क्या मंत्री के खिलाफ की गई शिकायत की सुनवाई कहीं नहीं होगी? पूरे मामले में सरकार की भी पोल खुल गई है और बड़ा सवाल है कि क्या भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस पर सिर्फ कहने के लिए है? क्या अगर सत्ता पक्ष के लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत होगी तो वो कोई मायने नहीं रखेगी? क्या विजिलेंस सिर्फ छोटी मछलियों और विपक्ष के नेताओं की जांच करने के लिए ही है?
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