उत्तराखण्ड शासन द्वारा उ०प्र० जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 (समय-समय पर उत्तराखण्ड राज्य के परिप्रेक्ष्य में यथा संशोधित) के अन्तर्गत शासन/जनपद स्तर पर प्रदत्त भूमि क्रय की अनुमति के सापेक्ष क्रय की गयी भूमि अथवा आवासीय प्रयोजन हेतु बिना अनुमति के क्रय की गयी भूमि के उल्लंघन के संबंध में उत्तराखण्ड के समस्त जिलाधिकारियों को सूचना उपलब्ध कराये जाने के निर्देश दिये गये थे। जिसके क्रम में जनपद हरिद्वार एवं नैनीताल को छोड़कर शेष 11 जनपदों से सूचना प्राप्त हुयी है। शासन द्वारा जनपद हरिद्वार एवं नैनीताल को सूचना उपलब्ध कराये जाने के स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं।
11 जनपद जिनके द्वारा सूचना उपलब्ध करायी गयी है, उनमें से जनपद रुद्रप्रयाग एवं चम्पावत में भू-उपयोग उल्लंघन का कोई प्रकरण प्रकाश में नहीं आया है तथा शेष 9 जनपदों में क्रय की गयी भूमि के उपयोग के उल्लंघन के कई प्रकरण प्रकाश में आये हैं। जिनमें से कुछ प्रकरणों में जनपद स्तर पर वाद संस्तुत कर कार्रवाई की गयी है। अवशेष प्रकरण जिनमें भूमि का निर्धारित प्रयोजन हेतु भू-उपयोग नहीं किया गया है, उनके संबंध में शासन द्वारा तत्काल विधि सम्मत कार्रवाई सुनिश्चित किये जाने के स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं।
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