बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड कांग्रेस को करारा झटका लगा है। कांग्रेस मुक्त उत्तराखंड का मिशन आगे बढ़ाते हुए बीजेपी ने कांग्रेस नेता रंजीत दास को अपने पाले में कर लिया है। देहरादून में बीजेपी मुख्यालय में रंजीत दास ने महेंद्र भट्ट की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ली। कांग्रेस के लिए ये बड़ा झटका इसलिए है क्योंकि रंजीत दास 2022 में कांग्रेस के टिकट पर बागेश्वर सीट से चुनाव लड़े थे। चंदन रामदास ने उन्हें 12 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था और अब रंजीत दास कांग्रेस से किनारा कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस की मौजूदा लीडरशिप के लिए भी ये अच्छा संकेत नहीं है। क्योंकि पार्टी उपचुनाव की तैयारी में जुटी है और उनका पिछला कैंडिडेट पार्टी छोड़कर चला गया है ऐसे में कांग्रेस की रणनीतिक लिहाज से भी बड़ी कमजोरी उजागर हुई है। यानि पार्टी का एक नेता जो 1 साल पहले ही पार्टी का उम्मीदवार था वो पार्टी छोड़कर जा रहा है और किसी नेता को भनक तक नहीं लगी। 7 अगस्त को प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव जब देहरादून में थे उस दिन रंजीत दास कांग्रेस की बैठक में शामिल हुए थे मगर आज उन्होंने कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि कांग्रेस उत्तराखंड में कैसे मजबूत होगी।
कांग्रेस नेतृत्व के सामने चुनौती
संगठन के लिहाज से किस तरह पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा क्योंकि जिसे भी नेता बनाने की कोशिश होती है या बनाया जाता है वो कांग्रेस छोड़कर चला जाता है। दिवंगत चंदन राम दास भी पहले कांग्रेस में ही थे मगर बाद में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की और 2007 से 2022 तक हुए सभी चुनाव जीतकर विधायक बने। बागेश्रर में कांग्रेस 2002 के बाद एक भी चुनाव नहीं जीत पाई है। ऐसे में उपचुनाव से पहले पिछले उम्मीदवार को बीजेपी में चले जाने कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत नहीं है। अब कांग्रेस का नेतृत्व इस संकट से कैसे निकलता है और कामयाबी हासिल करने के लिए क्या करता है ये बड़ा सवाल है।
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