विकास के नाम पर अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा जो भू कानून को कमजोर करने का काम किया गया था उसके लिए प्रदेश की जनता कभी भी त्रिवेंद्र सिंह रावत को माफ नहीं करेगी। जिस प्रकार अपनी सफाई में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए अच्छे हॉस्पिटलों के लिए अच्छे उद्योग धंधों के लिए उनके द्वारा 2018 में भू कानून में संशोधन किया गया था जिससे कि प्रदेश का विकास हो सके लेकिन इसके साथ ही साथ उनको ये भी बताना पड़ेगा की 2018 के बाद कितने हॉस्पिटल पहाड़ी क्षेत्रों में लगे कितने उद्योग धंधे पहाड़ी क्षेत्रों में लगे और कितने लोगों को इस भू संशोधन के बाद रोजगार मिला।
साथ ही साथ वो कह रहे हैं कि उनके द्वारा ये कानून भी बनाया गया था कि अगर 2 वर्ष तक संपत्ति खरीदने वालो के द्वारा उसका उपयोग विकास कार्य के लिए नहीं किया गया तो उसकी संपत्ति राज्य सरकार में नियत हो जाएगी तो त्रिवेंद्र सिंह रावत जी लगभग चार वर्ष से भी अधिक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और उनके द्वारा 2018 में ये कानून बनाया गया तो वर्तमान समय में वह प्रदेश में सांसद हैं पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं उनकी ही सरकार सत्ता में है तो उनको सरकार से श्वेत पत्र जारी करना चाहिए जिसमें सरकार को ये बताना चाहिए कि सरकार के द्वारा अब तक कितनी संपत्तियों को इस नियम के तहत सरकार में नियत की गई है मात्र मीडिया में बयान देकर देवेंद्र सिंह रावत जी अपनी गलतियों से नहीं बच सकते उनके द्वारा जब 18 में भू कानून में जो संशोधन किया गया इस प्रदेश में भू माफिया द्वारा प्रदेश की संपत्तियों को लूटने का काम किया गया आज जब भाजपा पूर्ण बहुमत में सत्ता में है तो भू कानून के नाम पर प्रदेश की जनता को गुमराह कर रही है जब कानून की आवश्यकता है तो समितियां बनाकर प्रदेश को लोगों को गुमराह क्यू किया जा रहा है अगर सरकार मजबूत इच्छा शक्ति रखती तो प्रदेश के इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर देरी क्यू कर रहीं है अगर राज्य हितैषी होती तो भू कानून को लागू करने का काम करती एवं भू कानून मूल निवास संघर्ष समिति द्वारा जो सुझाव सरकार को दिए जा रहे हैं उनके सुझावों को जोड़कर इस प्रदेश में एक सशक्त दुकानों लागू करने का काम करती है
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