उत्तराखंड कांग्रेस सचिव आनंद सिंह माहरा ने कहा कि राज्य की रजत जयंती के अवसर पर जहां सरकार उत्तराखंड के विकास के दावे कर रही है, वहीं आदर्श जिला घोषित चंपावत के ग्रामीण क्षेत्रों की सच्चाई इन दावों को झुठलाती है।
माहरा ने बताया कि जिला मुख्यालय चंपावत से मात्र 15–20 किलोमीटर की दूरी पर बसे मोनपोखरी, रकुवर, भंडार बोरा सहित कई अन्य गांव आज भी सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि यह बेहद विडंबनापूर्ण है कि मुख्यमंत्री का स्वयं का विधानसभा क्षेत्र होने के बावजूद इन गांवों की तस्वीर वर्षों से नहीं बदली। आनंद माहरा ने कहा कि कभी यह क्षेत्र अपनी उपजाऊ भूमि और समृद्ध खेती के लिए जाना जाता था — भंडारबोरा की बासमती चावल, रकुवर के आम, अमरूद, पपीता और केला पूरे जिले में प्रसिद्ध थे। लेकिन अब सड़क न होने और सरकारी लापरवाही के कारण खेती खत्म हो गई है, खेत सूने पड़े हैं और लोग रोजगार व इलाज की तलाश में पलायन को मजबूर हैं।
उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा, “सरकार कहती है किसानों की आय दोगुनी हुई है, लेकिन हकीकत यह है कि अब न किसान बचे, न खेती। नीतियों ने खेतों को बंजर और गांवों को सुनसान बना दिया है।”
आनंद माहरा ने कहा कि उत्तराखंड अपनी रजत जयंती मना रहा है, परंतु इन गांवों तक अब भी विकास की किरण नहीं पहुँची। अगर जनप्रतिनिधियों ने समय रहते इन क्षेत्रों की आवाज़ नहीं उठाई तो वह दिन दूर नहीं जब पहाड़ पूरी तरह सुनसान हो जाएंगे और पलायन रुकने का नाम नहीं लेगा।
माहरा ने कहा, “अब वक्त है कि विकास की बातें सिर्फ भाषणों तक सीमित न रहें, बल्कि धरातल पर गांवों तक पहुँचे। यही सच्चा उत्तराखंड दिवस मनाने का अर्थ होगा।”

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