बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान के तहत हो रहे काम को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। पिछले डेढ़ महीने से बदरीनाथ के तीर्थ पुरोहित समाज और व्यापार सभा मास्टर प्लान संघर्ष समिति आंदोलन कर रही है। प्रशासन पर अनदेखी का आरोप लगाकर संघर्ष समिति ने आमरण अनशन भी शुरू कर दिया है। विस्थापन नीति, सही मुआवजा समेत 11 सूत्रीय मांगों को लेकर 14 अगस्त से आमरण अनशन शुरू हुआ है।
कांग्रेस ने खोला सरकार के खिलाफ मोर्चा
बदरीनाथ मास्टर प्लान के मुद्दे पर कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस का आरोप है कि पहले देवस्थानम बोर्ड गठित कर भाजपा की सरकारों द्वारा तीर्थ पुरोहितों के साथ अन्याय अत्याचार व शोषण किया गया। पंडा पुरोहितों के वर्षों के संघर्ष के बाद भाजपा की सरकार को देवस्थानम बोर्ड को भारी जन दबाव के चलते निरस्त करना पड़ा। उसके बाद केदारनाथ धाम के 230 किलो सोने के पीतल में तब्दील हो जाने से समूचे देश मे उत्तराखंड की किरकिरी हुई और उसका सच अभी तक बाहर निकाल कर नहीं आया और अब बारी है बदरीनाथ के तीर्थ पुरोहितों की है। इसी मुद्दे पर कांग्रेस उपाध्यक्ष संगठन मथुरा दत्त जोशी ने बताया कि किस तरह से बदरीनाथ धाम में व्यापारियों और तीर्थ पुरोहितों के साथ धामी सरकार अत्याचार कर रही है और बिना नोटिस के वहां पीढ़ियों से रह रहे पुरोहित और व्यापारियों की दुकान और मकान बिना उन्हें सूचना दिए तानाशाही और दमनकारी नीति के तहत तोड़े जा रहे हैं। जोशी ने कहा की ये सब बदरीनाथ मास्टर प्लान के तहत किया जा रहा है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि इस प्लान के तहत सरकार को भूमि अधिग्रहण की जरूरत थी तो उससे पहले दुकान और मकान के मालिकों को कॉन्फिडेंस में लेने की जरूरत थी। और उन्हें उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए था। जोशी ने आरोप लगाते हुए कहा कि धर्म के नाम पर राजनीति करने वाली पार्टी की सरकार द्वारा धर्म के ध्वज वाहको के हितों पर कुठाराघात करते हुए उनके सामने राटी-रोजी का गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। जोशी ने कहा कि सरकार पहले पण्डा पुरोहितों को पुर्नवासित करना चाहिए था, उन्हें सही स्थान पर दुकान देकर उनकी रोजी- रोटी का इंतजाम करना चाहिए था। ऐसा न करके भाजपा की सरकार ने पण्डा पुरोहितों के सामन गंभीर संकट खड़ा कर दिया है।
धामी सरकार से रुख साफ करने की मांग
कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि बीजेपी का छद्म हिंदू वाद आज सबके सामने बेनकाब हो गया है। दसोनी ने कहा की बद्रीनाथ धाम के नारायणपुरी में व्यापारियों की 75ः दुकाने ,50 के करीब पुरोहितों के मकानों को गिरा दिया गया है। सरकार द्वारा ना कोई कंपनसेशन ना कोई मुआवजा और ना ही विस्थापन की कोई नीति? ऐसे में पिछले डेढ़ महीने से तीर्थ पुरोहित समाज और व्यापार सभा मास्टर प्लान संघर्ष समिति के तहत कार्मिक अनशन कर रहे हैं, और 14 अगस्त 2023 से तो उन्होंने आमरण अनशन भी शुरू कर दिया है लेकिन अहंकारी, हठधर्मी धामी सरकार के कानो में जूं तक नहीं रेंग रही है। दसौनी ने कहा की संघर्ष समिति की प्रमुख मांग है की धामी सरकार अपनी विस्थापन नीति स्पष्ट करें उसी के तहत 11 बिंदुओं का एक मांग पत्र जारी करते हुए मास्टर प्लान संघर्ष समिति ने धामी सरकार से शीघ्र अति शीघ्र निर्णय लेने के लिए कहा है। दसौनी ने कहा की बदरीनाथ मास्टर प्लान धामी सरकार की विकास वादी सोच है या विनाश कारी क्योंकि इस प्लान से पीढ़ी दर पीढ़ी जो तीर्थ पुरोहित धाम की सेवा कर रहे थे और वहां आ रहे श्रद्धालुओं की पूजा अर्चना आस्था का ख्याल रख रहे थे उन्हीं पर धामी सरकार ने इतना बड़ा कुठाराघात कर दिया है जिससे वह उबर नहीं पा रहे हैं । दसौनी ने जानकारी देते हुए कहा की नवंबर में बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद सभी व्यापारी और पंडा पुरोहित नीचे उतर आते हैं और अप्रैल मई में फिर बदरीनाथ धाम पहुंचते हैं। शासन ने इसी का फायदा उठाते हुए फरवरी, मार्च में उनके घर ,मकान ,दुकान सब ध्वस्त कर दिए। तोड़ने से पहले ना ही कोई नोटिस दिया गया ना ही कोई सूचना जो की ढाणी सरकार की तानाशाही और अहंकार ही दिखलाता है। कांग्रेस नेताओं ने धामी सरकार से जल्द से जल्द विस्थापितों की अस्थाई व्यवस्था और विस्थापन नीति को कुछ स्पष्ट करने की मांग की है ।
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