उत्तराखंड में टिहरी बांध की विशाल झील के ऊपर 7500 फुट की ऊंचाई पर स्थित खैट पर्वत के शिखर पर योग यूनिवर्सिटी और संस्कृत महाविद्यालय खोलने की मांग की गई है। ताकि इस रमणीक स्थल से प्राकृतिक वातावरण में योग और संस्कृत अध्ययन की नई धारा विकसित हो सके। ये मांग क्षेत्र के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और टिहरी बांध की झील पर बने डोबरा चांटी पुल निर्माण के संयोजक रहे चार्टर्ड अकाउंटेंट राजेश्वर पैन्यूली ने टिहरी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र की सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह से की है। उनका कहना है कि खैट पर्वत पर योग यूनिवर्सिटी और संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना सरकारी निजी भागीदारी यानी पीपीपी मोड पर की जानी चाहिए।
यूनिवर्सिटी के लिए अभियान
राजेश्वर पैन्यूली ने बताया कि उन्होंने इस संदर्भ में अभियान शुरू कर दिया है और लोगों की राय लेकर इस दिशा में जनता एवं व्यवसायों के सहयोग की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस दिशा में कोशिश शुरु कर दी गई है और इसका अवधारणा पत्र तैयार कर विभिन्न क्षेत्र के प्रमुख लोगों को इसमे जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। पैन्यूली ने कहा “समुद्र तल से 7500 फुट की ऊंचाई पर टिहरी झील से सटा खैट पर्वत अनोखी कहानियों और रहस्यमयी दुनिया अपने आप में समेटे है। मान्यता है कि ये देवियां का सिद्ध स्थान है। इस जगह को परियों यानी आछरीयों का स्थान भी कहा जाता है। यहाँ पर प्रशिक्षित योग शिक्षक और संस्कृत के विद्वान जो ज्ञान देंगे वो योग और संस्कृत के क्षेत्र में निश्चित रूप से नया आधार बनेगा। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर तो मिलेंगे ही, योग यूनिवर्सिटी और संस्कृत महाविद्यालय से निकले छात्र दुनिया भर में भारतीय-योग और संस्कृत का परचम और मजबूती से लहरायेंगे।
प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को पत्र
पैन्यूली जी ने बताया कि इसे PP मोड यानि जनता और व्यवसायों के सहयोग से बनाने की कोशिश शुरू कर दी गई है.. इसके लिए कांसेप्ट पेपर के साथ साथ विभिन्न छेत्र के योग्य व्यक्तियों को जोड़ा जाएगा .यहां ये भी बता दें कि इसे लेकर पैन्यूली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी एक पत्र भेजा है। साथ ही साथ मुख्यमंत्री उत्तराखंड पुष्कर सिंह धामी को भी चिट्ठी लिखी है। ये एक इंटग्रेटेड साइंस, संस्कृत की शिक्षा के साथ साथ योग की भी मास्टर, पीएचडी के स्तर पर होगा। ये लगभग उसी तर्ज पर होगा जैसा कि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की अवधारणा की गई थी। ये सीधे और परोक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार प्रदान करेगा और जो पलायन भी रोकने का एक भी एक हथियार होगा ….! सरकार से सिर्फ और सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर और दूसरी मंजूरी देनी होगी, ज़िसकी लागत भी सरकार धीरे -धीरे 5-10 साल मे वापस ले सकती है। योग-पीठ देवियों के मंदिर से धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उचित दूरी बना करके ही बनाया जाये।
प्रस्तावित इंटीग्रेटेड योग यूनिवर्सिटी के कैंपस/ महाविद्यालय मुखेम, जुवा, मंधार और प्रदेश के दूसरे स्थान पर भी बनाई जाने वाली योजना है.! पैन्यूली ने फिर एक बार मुख्यमंत्री और सांसद टिहरी गढ़वाल से अपील की है कि इस विश्वविद्यालय को बनाने में हमारी पूरी टीम को प्राथमिकता दें …!
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