केदारनाथ उपचुनाव की गहमागहमी के बीच उत्तराखंड कांग्रेस में खींचतान जारी है। उम्मीदवार तय होने से पहले पार्टी का टकराव खुलकर सामने आया है। दावेदार की ओर से भी कुछ बयान आए हैं। पार्टी के पर्यवेक्षकों पर ही कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट ने मोर्चा खोला और भेदभाव करने का आरोप लगाया।
आज शीशपाल बिष्ट दिल्ली पहुंचे और प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कुमारी सैलजा से मुलाकात की। शीशपाल बिष्ट ने केदारनाथ उपचुनाव से जुड़े पहलुओं पर प्रभारी से चर्चा की।
रुद्रप्रयाग के कांग्रेसियों ने खोला मोर्चा
शीशपाल बिष्ट समेत टिकट के कुछ और दावेदारों की ओर से की गई बयानबाजी के बाद रुद्रप्रयाग के आम कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को चिट्ठी लिखकर नाराजगी जाहिर की है। चिट्ठी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा है कि शीशपाल बिष्ट के तमाम आरोप निराधार हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि शीशपाल बिष्ट कभी भी रुद्रप्रयाग या केदारनाथ विधानसभा में सक्रिय नेता के तौर पर एक्टिव नहीं रहे उन्होंने उपचुनाव के लिए भी आवेदन देहरादून में किया और पर्यवेक्षकों से मुलाकात तक नहीं की।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उम्मीदवार चयन से ठीक पहले शीशपाल बिष्ट के बयान को पार्टी की छवि करने वाला बताया। कार्यकर्ताओं ने साफ किया कि इस तरह की बयानबाजी करने वालों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। चिट्ठी में कार्यकर्ताओं ने कहा कि अगर इस तरह बयानबाजी करने वालों पर एक्शन नहीं लिया गया तो इससे उपचुनाव में पार्टी को नुकसान हो सकता है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं के रुख और नेताओं की बयानबाजी से साफ है केदारनाथ उपचुनाव से पहले कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा।
दिल्ली में होने वाली बैठक पर निगाहें
कल दिल्ली में उत्तराखंड कांग्रेस की बड़ी बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि इसमें उम्मीदवार चयन पर चर्चा हो सकती है। साथ ही एकजुटता से चुनाव लड़ने का रास्ता भी निकाला जा सकता है। कांग्रेस के सामने गुटबाजी ही सबसे बड़ी चुनौती है मगर जिस तरह प्रदेश अध्यक्ष की नाराजगी की ख़बर आई वो बड़ा संकट है। बहरहाल तमाम मुद्दों को लेकर मतभेद दिख रहे हैं।
सवाल है कि कल की बैठक से कोई समाधान निकलेगा या बात और बिगड़ जाएगी। अटकलें इस बात को लेकर भी हैं कि कल होने वाली मीटिंग में टकराव भी खुलकर सामने आ सकता है और बड़े नेताओं की बीच की दूरी भविष्य में संकट बढ़ा सकती है। ऐसे में आम कार्यकर्ताओं का मनोबल कैसे बना रहेगा और कैसे बढ़ेगा इसे लेकर तमाम सवाल हैं।

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