बीते दिनों वन विभाग द्वारा बाबा तुंगनाथ की देवड़ौली को रोका जाना हिंदू सनातन धर्म की अनुयायियों की भावनाओं से खिलवाड़ करना है, ये कहना है उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी का। गरिमा ने कहा कि प्रतिवर्ष भगवान तुंगनाथ की देव डोली पारंपरिक रास्ते से होकर गुजरती है ऐसे में वन विभाग के द्वारा उस मार्ग पर गेस्ट हाउस बनने से भगवान तुंगनाथ की डोली को आगे नहीं बढ़ने दिया गया,जिस वजह से कई घंटों तक बाबा की डोली भक्तों के कंधों पर ही रही,कड़ी जद्दोजहद के बाद डोली को आगे का रास्ता दिया गया। दसौनी ने इसे सरासर वन विभाग के अधिकारियों की भगवान तुंगनाथ की शान में सरकारी हनक और अभद्रता बताया है।
दसौनी ने बताया कि दरअसल 4 नवंबर को तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए। जिसके बाद बाबा की डोली को विश्राम के लिए चोपता लाया जा रहा था। यहां से मंगलवार को डोली को अगले पड़ाव भनकुंड के लिए जाना था,जहां से ये पारंपरिक रास्ता जाता है वो वन विभाग की भूमि है। जहां पर विभाग ने स्थाई टैंट बना दिए हैं, जब टेंट खोला गया तब जाकर डोली आगे बढ़ पाई।
दसौनी ने कहा की वन विभाग के द्वारा की गई यह गुस्ताखी अक्षम्य है। दसौनी ने कहा कि वन विभाग के अधिकारी बताएं कि आखिर देव डोली के गुजरने से वन विभाग का क्या नुकसान हो रहा था? बाबा तुंगनाथ के साथ-साथ केदार घाटी के लोग भी इस बात का सबक धामी सरकार को जरूर देंगे। गरिमा ने धामी सरकार से यह भी मांग करी कि इस गुस्ताखी में जो लोग भी सम्मिलित हैं वह सार्वजनिक रूप से उत्तराखंड वासियों से इस कोताही की क्षमा याचना करें।
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