पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीजेपी सरकार के मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर करारा प्रहार किया है। हरीश रावत ने लिखा है सत्ता के उपयोग और दुरुपयोग, दोनों में बहुत बारीक सा अंतर है। यदि आप कानून का सहारा किसी दूसरे को न्याय दिलाने के लिए करते हैं तो आप सदुपयोग करते हैं और यदि आप कानून का सहारा अपने प्रभाव का उपयोग कर अपने प्रतिद्वंद्वियों को परेशान करने के लिए करते हैं तो आप कानून का दुरुपयोग करते हैं। उत्तराखंड में भी ऋषिकेश के विधायक प्रेमचंद अग्रवाल ने जो कैबिनेट मिनिस्टर भी हैं, अपने राजनीतिक विरोधी जो उनके खिलाफ 2022 में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार थे उनके खिलाफ एक कंप्लेंट पुलिस थाने में दर्ज करवायी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि जयेंद्र रमोला ने उनकी छवि को धूमिल किया है, क्योंकि उन्होंने उनके विभाग द्वारा ऋषिकेश में करवाये गये एक कंस्ट्रक्शन वर्क की पुअर क्वालिटी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उसमें सब स्टैंडर्ड मटेरियल लगाया गया और उसके कारण एक एक्सीडेंट भी हुआ। पुलिस ने सत्ता के दबाव में जयेंद्र रमोला के खिलाफ नई भारतीय न्याय संहिता की धारा 353 (2) के तहत FIR दर्ज कर दी है। प्रेमचंद अग्रवाल सरकार के हिस्सा हैं, यदि निर्माण कार्य की क्वालिटी अच्छी नहीं है या कहीं पहली ही बरसात में निर्माण कार्य बह जा रहे हैं, टूट जा रहे हैं तो उस पर यदि जयेंद्र रमोला ने अपनी फेसबुक में कोई निर्माण कार्य पर टिप्पणी कर दी और उसके लिए विभागीय मंत्री के रूप में प्रेमचंद अग्रवाल से सवाल पूछ लिया तो क्या यह गुनाह हो गया?
मौजूदा सत्ता लोकतंत्र विरोधी- हरीश रावत
मगर सत्ता है लोकतंत्र का गला घोंटना चाहती है। लोगों से लोग यदि सवाल नहीं पूछेंगे तो फिर लोग सवाल पूछने किसके पास जाएंगे, किसी गरीब रेहड़ी-पटरी वाले से यह किसी मजदूर से? सवाल तो मंत्रियों से ही पूछे जाएंगे न और राजनीतिक प्रतिद्वंदी ही सवाल पूछेंगे? लोकतंत्र का यही तकाजा है। मगर भारतीय जनता पार्टी का लोकतंत्र में कोई विश्वास नहीं है। मैं, जयेंद्र रमोला को बधाई देता हूं और उनको सम्मानित करने के लिए मैं ऋषिकेश जाऊंगा।
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