केदारनाथ उपचुनाव की गहमागहमी के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कांग्रेस के कुछ नेताओं की तारीफों के पुल बांधे हैं। खासकर गोदियाल और प्रीतम सिंह को लेकर हरदा ने बड़ी बात कही है। इसके अलावा केदारनाथ से उम्मीदवार मनोज रावत को ही सराहा है। हरदा की इस तारीफ के मायने निकाले जा रहे हैं। उत्तराखंड की राजनीति में हमेशा यही चर्चा होती है कि हरीश रावत जो भी कहते हैं और करते हैं उसके पीछे गहरी सोच होती है साथ ही भविष्य की रणनीति भी हरदा के हर कदम में होती है। खास बात ये है कि हरीश रावत ने पूरी पोस्ट गढ़वाल के कांग्रेस नेताओं को केंद्र में रखते हुए लिखी है मगर उसमें हरक रावत का जिक्र नहीं है।
हरीश रावत ने क्या लिखा?
हरीश रावत ने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा है हमारी उत्तराखंडी पहचान, हमारी आंचलिक पहचानों का समग्र रूप है और हमारा सजग प्रयास होना चाहिए कि हम इस पहचान को और मजबूत करें। आंचलिक पहचानों और हमारी सार्वभौम उत्तराखंडियत की पहचान को मजबूत करने में राजनीतिक व्यक्तित्वों का भी योगदान होता है। हमारा सौभाग्य है कि हमारे गढ़वाल की जो महान पहचान है उसको निरंतर आगे बढ़ाने के प्रयास में हमारी अग्रिम पंक्ति के नेता प्रीतम सिंह चौहान, सुरेंद्र सिंह नेगी, गणेश गोदियाल, मंत्री प्रसाद मैथानी, दर्शन लाल सहित बहुत सारे लोग निरंतर प्रयासरत हैं और मुझे बेहद खुशी है जिस तरीके से एक समन्वयकारी व्यक्तित्व के रूप में प्रतापनगर के विधायक विक्रम सिंह नेगी उभर रहे हैं और लखपत बुटोला भी करीब-करीब उन्हीं के नक्शे कदम पर जो बद्रीनाथ के नवनिर्वाचित विधायक हैं, काम कर रहे हैं।
मैंने केदारनाथ क्षेत्र के भ्रमण के दौरान पाया कि जिस एकजुटता से उस क्षेत्र के कांग्रेसजन काम कर रहे हैं मुझे उनमें भी हमारे राजनीतिक और सामाजिक सरोकारों को आगे बढ़ाने और ऊंचा उठाने की पूरी क्षमता दिखाई दी है। कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव में गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र से गणेश गोदयाल को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने अपने अभूतपूर्व क्षमता, समझ और सोच से यह सिद्ध कर दिया कि वह हमारी दोनों पहचानों को, गढ़वाल की पहचान को और उत्तराखंड की पहचान को भी निरंतर ऊपर उठाने की क्षमता रखते हैं और केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार मनोज रावत भी गोदियाल की क्षमता के एक पूरक के रूप में दिखाई देते हैं। मनोज के राजनीतिक जीवन के अध्ययन से मैं पाता हूं कि उनमें हमारे आध्यात्मिक क्षेत्र श्री केदारनाथ, बद्रीनाथ, चारधाम के साथ हमारी सांस्कृतिक पहचानों, परम्पराओं व हमारे परिवेशजन्य विशेषताओं को उभारने व संरक्षित करने की क्षमता है।
उनमें गढ़वाल की महान परंपराओं की गहरी समझ है। ऐसे व्यक्ति की उत्तराखंड को हमेशा आवश्यकता रहेगी। विधानसभा में भू कानून के बदलाव का विरोध कर उन्होंने अपनी दूरदर्शिता से मुझे बहुत प्रभावित किया है। भगवान केदारनाथ और तीर्थ पुरोहित गण, केदार क्षेत्र के बुजुर्ग, माता, बहन और भाई उन्हें अपने आशीर्वाद से नवाजें इसकी याचना करता हूं।
।।जय केदार।।
#जय_बाबा_केदारा
हरदा के मन में क्या?
अब बड़ा सवाल है कि हरदा की इस पोस्ट के मायने क्या हैं? असल में 2022 की हार के बाद हरीश रावत कांग्रेस में काफी कमजोर हुए हैं। दिल्ली से भी अब उन्हें पहले जैसी तवज्जो नहीं मिलती और उत्तराखंड की लीडरशिप में भी वो औपचारिकता तक ही सीमित हैं। फिलहाल करन माहरा अध्यक्ष हैं जिनसे कई मुद्दों पर हरीश रावत की खटपट रहती है। प्रीतम सिंह को विधायकों का समर्थन है तो गणेश गोदियाल तेजी से उभरे हैं लिहाजा इनकी तारीफ करके हरीश रावत नई बिसात बिछाने और पावर बैलेंस की रणनीति अपना रहे हैं साथ ही भविष्य के लिहाज से कांग्रेस कैसे आगे बढ़ सकती है उसका भी संकेत दे रहे हैं। ये सब मौजूदा नेतृत्व के सामने प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा भी हो सकता है। नए नेताओं की तारीफ भी उसी रणनीति के तहत हो सकती है। कांग्रेस गढ़वाल मंडल में कुमाऊं की अपेक्षा कमजोर है इसीलिए गढ़वाल के नेताओं का उत्साह बढ़ाकर वो 2027 के लिहाज से भी उन्हें आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे होंगे ताकि नतीजे बेहतर हो सकें। हालांकि हरीश रावत का प्लान क्या है और वो क्या चाहते हैं इस पर सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है। असल में तो वो कब क्या दांव चल रहे हैं ये उनके आसपास वालों को भी पता नहीं चलता।
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