हरिद्वार में जीत और हार के बाद उत्तराखंड की राजनीति के लिए कई संकेत हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की भविष्य की राजनीति के लिहाज के हरिद्वार के नतीजे नए समीकरण बनाने वाले हैं। हरिद्वार लोकसभा पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जीत दर्ज की है। त्रिवेंद्र सिंह रावत को 653808 वोट मिले। वहीं, उन्होंने 164056 के अंतर से जीत दर्ज की। बेटे वीरेंद्र रावत के चुनाव प्रचार के सारथी रहे हरीश रावत तमाम कोशिशों के बावजूद बेटे को जीत नहीं दिला पाए। इसके साथ ही हरीश रावत के सियासी भविष्य को लेकर अब कई सवाल हैं।

पहला बड़ा सवाल है कि क्या हरीश रावत अब चुनावी राजनीति से संन्यास लेंगे? क्या हरीश रावत अब कांग्रेस में पूरी तरह साइड लाइन हो जाएंगे? हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत का राजनीतिक भविष्य क्या होगा इसे लेकर भी कई सवाल हैं। दूसरी ओर त्रिवेंद्र रावत लंबे राजनीतिक वनवास के बाद मुख्यधारा की राजनीति में लौट आए हैं। त्रिवेंद्र रावत की जीत के साथ ही उत्तराखंड बीजेपी में भी नए सियासी समीकरण बनने का संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। त्रिवेंद्र रावत कई बार अप्रत्यक्ष तौर पर धामी सरकार को लेकर सवाल उठा चुके हैं। चारधाम यात्रा का बदइंतजामी हो या बेलगाम अफसरशाही त्रिवेंद्र रावत ने कई मौकों पर ऐसे बयान दिए हैं जिससे सरकार ना चाहते हुए भी असहज हुई है। ऐसे में आगे क्या हौगा इसे लेकर अब सबकी निगाहें टिकी रहेंगी।
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