उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज असम की राजधानी गुवाहाटी में मां कामाख्या देवी के दर्शन किए। हरीश रावत ने कहा कि लंबे वक्त बाद दर्शन करने का सौभाग्य मिला। कुछ दिन पहले उन्होंने राम मंदिर के दर्शन किए थे और आज वो मां कामाख्या देवी के दरबार पहुंचे। जब लोकसभा चुनाव की हलचल है तब हरीश रावत भगवान का आशीर्वाद ले रहे हैं और नई शक्ति के साथ चुनावी मुकाबले के लिए कांग्रेस के बेहतर भविष्य की भी कामना कर रहे हैं। हरीश रावत आध्यात्मिक और धार्मिक व्यक्ति हैं राजनेता के साथ-साथ धर्म में भी उनकी गहरी आस्था है और वो अपने तरीके से धार्मिक भावनाओं को व्यक्त भी करते रहे हैं।
इसीलिए अब मां कामाख्या देवी के दरबार में जाना एक संकेत है। हरी रावत लंबे समय तक असम के प्रभारी भी रहे हैं। बतौर प्रभारी हरीश रावत जब असम जाते थे या गुवाहाटी जाते थे तब मां कामाख्या के दर्शन जरूर करते थे और आज एक बार फिर जब चुनावी गहमागहमी चल रही है, उत्तराखंड कांग्रेस में टिकटों को लेकर उलझन है हरीश रावत चुनाव लड़ेंगे या नहीं लड़ेंगे इसे लेकर सस्पेंस बना हुआ है तब एक बार फिर उनका मां कामाख्या के दर्शन करना भी कई मायनों में अहम है।
लोकसभा चुनाव में क्या होगा?
पिछले साल सड़क हादसे में घायल होने के बाद हरीश रावत लंबी यात्राओं से बच रहे थे, वो दिल्ली भी नहीं जा रहे थे। हालांकि हरिद्वार, देहरादून, हल्द्वानी में वो सक्रिय रहे। कई पद यात्राएं की और धरने भी दिए मगर वो उत्तराखंड से बाहर जाने से बच रहे थे। अब हरीश रावत काफी हद तक फिट हैं लेकिन अभी सवाल यही है कि वो चुनाव लड़ेंगे या नहीं? कांग्रेस आलाकमान सीनियर नेताओं को चुनाव लड़ाना चाहता है अब फैसला उत्तराखंड के सीनियर नेताओं को ही करना है। अब देखना है कि धार्मिक यात्रा के बाद हरीश रावत राजनीतिक यात्रा को लेकर क्या फैसला लेते हैं खास तौर पर लोकसभा चुनाव के लिहाज से उत्तराखंड में हरीश रावत का फैसला कई मायने रखता है।
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