24 January 2025

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हरीश रावत ने वोटर लिस्ट मसले पर उठाए सवाल

हरीश रावत ने वोटर लिस्ट मसले पर उठाए सवाल

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत निकाय चुनाव में वोट नहीं दे पाए। उनका नाम वोटर लिस्ट में नहीं होने की ख़बर दिन भर बनी रही। शाम को डीएम देहरादून ने लिस्ट जारी कर हरीश रावत का नाम वोटर लिस्ट में होने का दावा किया और एक लिस्ट सर्कुलेट भी की। जिसमें हरीश रावत और उनके परिवार का नाम डिफेंस कॉलोनी की वोटर लिस्ट में था। इस पर अब हरीश रावत ने सफाई दी है। हरीश रावत ने कहा है कि मेरे स्टाफ ने मुझे बताया कि माननीय जिलाधिकारी देहरादून ने उन्हें 6:38 बजे सूचित किया है कि मेरा नाम वार्ड-76 माजरा के बजाय वार्ड-58 डिफेंस कॉलोनी की वोटर लिस्ट में है। मैं वर्ष 2009 से लगातार माजरा पोलिंग स्टेशन में ही वोट कर रहा हूं, कुछ समय पूर्व में संपन्न लोकसभा चुनाव में भी मैंने वही वोट किया है। आज जब माजरा की वोटिंग पोलिंग लिस्ट में मेरा नाम दर्ज नहीं पाया गया तो यह बात सारे समाचार चैनलों में प्रचारित-प्रसारित हुई। मेरे स्टाफ द्वारा माननीय राज्य चुनाव आयुक्त नगर निकाय पंचायती राज व उनके कार्यालय, माननीय जिलाधिकारी देहरादून, माननीय RO से बात कर नाम न होने की शिकायत की गई और चुनाव आयोग से संबंधित अधिकारी व कर्मचारियों से भी आग्रह किया गया कि मेरा नाम कहां है, यह मुझे बताया जाए? उन्होंने आयोग का सर्वर डाउन होने की सूचना दी, यह समाचार कुछ चैनलों में भी प्रसारित हुआ। 4 बजे मैं खुद माजरा क्षेत्र के तीन पोलिंग स्टेशनों में गया और अपना नाम ढूंढा, कहीं नाम नहीं मिला। निराश होकर मैं भगवानपुर किसी आवश्यक कार्य हेतु चला गया तो मुझे मेरे स्टाफ द्वारा बताया गया कि माननीय जिलाधिकारी द्वारा मेरा नाम वार्ड-58 डिफेंस कॉलोनी में होने की सूचना दी है। यदि यह सूचना मुझे 4:00-4:30 बजे तक भी मिल जाती तो मैं अपने मतदान के अधिकार का उपयोग कर सकता था। मैंने कभी भी मतदाता सूची तैयार करने वालों से मेरा नाम माजरा से अन्यत्र स्थानांतरित करने का अनुरोध नहीं किया, जो BLO मेरे आवास पर आए थे तो मेरे स्टाफ द्वारा उनको भी मेरा मंतव्य उस समय स्पष्ट रूप से बता दिया गया था कि मैं माजरा पोलिंग स्टेशन में ही अपना नाम दर्ज रखना चाहता हूं। मैं किसी के ऊपर जान-बूझकर मुझे मतदान से वंचित करने का आक्षेप नहीं लग रहा हूं, मगर देहरादून में हजारों की संख्या में मतदाता सूचियों से लोगों के नाम गायब मिले हैं। लगभग सभी वार्डों में ये स्थिति है। मेरा मानना है कि ऐसी स्थिति जान-बूझकर पैदा की गई है, क्योंकि जो नाम मतदाता सूचियों से हटाए गए हैं उनमें 90% से अधिक लोग कमजोर वर्गों व अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित हैं।

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