उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार किया। हरीश रावत कई सीटों पर गए और कांग्रेस उम्मीदवारों के समर्थन में सभाएं कीं। पूर्व मुख्यमंत्री के चुनावी कार्यक्रम उन इलाकों में ज्यादा लगाए गए जहां प्रवासी उत्तराखंडी बड़ी संख्या में रहते हैं। हरीश रावत आज उत्तराखंड लौट चुके हैं मगर प्रचार के दौरान कुछ बातों से वो बेहद उत्साहित नजर आए। हरीश रावत ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अपने अनुभव साझा किए ।
हरीश रावत ने लिखा
बुराड़ी से संगम विहार तक, किराड़ी से बदरपुर तक दिल्ली की पूरी लंबाई-चौड़ाई में प्रचार के बाद आज जब मैं #देहरादून को वापस लौट रहा हूं, मैं अति उत्साहित हूं। जिस क्षेत्र में मैं रहता हूं। मेरे दामाद का घर है तो वहां अड़ोस-पड़ोस में सब कांग्रेस के विरोध की मानसिकता रखने वाले लोग थे। लेकिन इस बार जब मैं आज सुबह उनके पास हाथ जोड़ने के लिए गया तो मुझे उनके विचारों में बहुत परिवर्तन दिखाई दिया। एक व्यक्ति ने कहा हम सब, कांग्रेस की तरफ जाने की सोच रहे हैं क्योंकि इनकी नौटंकी से हम परेशान हैं। यह नौटंकी शब्द मुझे अच्छा लगा। प्रचार के दौरान मैंने देखा कि कांग्रेसजनों में उत्साह है, सब एकजुट हैं। कांग्रेसजन इसको अपने स्वाभिमान की लड़ाई मान रहे हैं। मैं उत्तराखंड को लेकर के भी बहुत उत्साहित हूं। बदरपुर में जहां हमारी जनसभा करवाई गई थी, वहां लोगों ने पहाड़ी उत्पादों के स्टाल लगा रखे थे। भीमल का शैम्पू, मेरे सोच से परे है। तीमूर या तिमूरू की चटनी, वाह। अरसा तो जन-जन का प्रिय बन ही गया है। पहाड़ी टोपी, पहाड़ी जेवर का इमिटेशन, नींबू, मेरी प्यारी गेठी आदि सब चीज। ऐसा लगता है #दिल्ली, उत्तराखंड के #उत्पाद का बड़ा खपत केंद्र बनता जा रहा है।
उत्तराखंड की सरकार और वहां के स्वयं सहायता समूह योजनाबद्ध तरीके से अपने इन छोटे-छोटे देश भर में बसे हुए उत्तराखण्डों को टैप करें और यहां उत्तराखंड के उत्पादों के बेचें और उनके आउटलेट खोलें, जहां से लोग उसको प्राप्त कर सकते हैं और छोटे-छोटे मोहल्लों में बेच सकते हैं तो उत्पादन की प्रक्रिया को उत्तराखंड में बहुत बढ़ावा मिलेगा, कृषि उत्पादन की प्रक्रिया को भी और दूसरे हस्त व बुद्धि आधारित उत्पादों को भी बहुत बढ़ावा मिलेगा। इस बार मुझे यह उत्साहजनक स्थिति दिखाई दी, किराड़ी को जाते वक्त मैंने रास्ते में एक बोर्ड लगा था। जिसमें लिखा था “#उत्तराखंड_के_जैविक_उत्पाद” यहां मिलते हैं। बस यही तो मेरी कल्पना थी, जो अंकुरित हो चुकी है, धीरे-धीरे वृक्ष भी बनेगी, मेरे लिए यह संतोष का विषय है।
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