पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बालू खनन को लेकर बीजेपी सरकार की नीति पर सवाल उठाए हैं। साथ ही सरकार पर उत्तराखंड के लोगों के अधिकार छीनने का आरोप भी लगाया है।
हरीश रावत ने सरकार को अपना फैसला वापस लेने की चेतावनी भी दी है।
हरीश रावत ने उठाया ये मुद्दा
हरीश रावत ने कहा है नदियां उत्तराखंड की, मिट्टी-बालू उत्तराखंड का ! चलो भाजपा के दोस्तो, आप बालू निकालने और बेचने वाली कंपनी बाहर की ले आये। मगर अब तो पहले से ऐसा कार्य करने वाले लोगों के साथ काम करने वाले लोग कम से कम स्थानीय होते थे, उत्तराखंड के होते थे। अब उत्तराखंड वाले वो लोग, वन निगम के ऐसे निकासी केंद्रों पर काम पर लगे थे, उनको निकाल बाहर कर रहे हैं और बाहर करने के लिए बहाना उन पर मारपीट का मुकदमा लगाया जा रहा है, मतलब हमारी नदी, हमारा बालू और हमारे बच्चे अब अपराधी भी होंगे।
यह उत्तराखंड, गरीबों, बेरोजगारों, कमजोरों के अधिकार की रक्षा के लिए बना, उसके लिए लड़ाई लड़ी। जब यहां बड़े-बड़े उद्योग लगे, हम ऐसे पहले राज्य बने जिसने स्थानीय लोगों को यहां खुल रही फैक्ट्रीज/कंपनियों में 70 प्रतिशत नौकरी देने का कानून बनाया और अब हमारे बालू को बेचने के लिए भी आप बाहर के लोगों को ला रहे हैं। पहले तो नेता बाहर से लाये और अब हमारे बालू, मिट्टी, हमारे उत्पादों व हमारी ज़मीन को बेचने के लिए भी आप बाहर से लोग लाओगे तो इसको सहन नहीं किया जाएगा।

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