उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीजेपी की चुनौती से निपटने के लिए पुख्ता रणनीति तैयार करने की वकालत की है। साथ ही एक अलग नेरेटिव सेट करने पर भी जोर दिया है। हरीश रावत ने कहा है भाजपा के कुनरेटिवों के खिलाफ हमारे सद्भावी नरेटिव मौजूद हैं, राष्ट्रीय स्तर पर भी हैं, प्रान्तीय स्तर पर भी हैं। सामाजिक न्याय के साथ न्याय के समावेश का हमारा #नरेटिव भारत के हर वर्ग के लिए कल्याणकारी है, जोड़ो-जोड़ो भारत जोड़ो, मोहब्बत की दुकान के माध्यम से यह अकेले भारत के लिए नहीं, दुनिया के लिए एक मंत्र है जो आज संघर्षशील मानवता है, यह मोहब्बत की दुकान उसके लिए भी मंत्र है, यह अपने आप में एक श्रेष्ठ नरेटिव है। लड़की हूं लड़ सकती हूं लड़ सकती हूं महिला शक्ति के अभ्युदय का आवाहन् करता हुआ यह नारा, आधी आबादी जिन त्रासदियों को झेल रही है उस आधी आबादी को शक्ति देने वाला नारा है और इसके चारों तरफ महिला कल्याण की सारी योजनाओं को समाहित किया जा सकता है।
आवश्यकता है अपने इन नरेटिवों के साथ पूरी शक्ति से टॉप टू बॉटम जुड़ने की। हमने भी 2016 में केंद्र सरकार की कुकृतियों और कुईरादों का मुकाबला करने के लिए एक स्थानीय उत्तराखंडी नरेटिव, #उत्तराखण्डियत का नरेटिव खड़ा किया और उसके चारों तरफ हमने अपनी उन सोचों को जो हमारे उत्तराखंड को मजबूत बनाती हैं। यहां के प्रत्येक नागरिक को, महिला-पुरुष हर जाति के व्यक्ति को मजबूत बनाती है उनको जोड़ा और हम चुनाव में हारे, 2017 में भी हारे, 2022 में भी हारे, हम हारे मगर लड़ते हुए हारे और मुझे पूरा विश्वास है कि हम उत्तराखंडियत के शस्त्र के बल पर ही उत्तराखंड में भाजपा को पराजित कर सकते हैं। आज हमारी उत्तराखंडियत से जुड़ी हुई कुछ सोच को भाजपा अपहरण कर रही है। जैसे हमारी उत्तराखंडी टोपी जिसे हमने उत्तराखंडी पहनावे का द्योतक चयनित किया, उस टोपी में थोड़ा सा एक छोटा सा घेरा लगाकर उसको हमारी सरकार के समय की पहल के बजाय भाजपाई पहल के रूप में आगे बढ़ाई जा रही है या चित्रित की जा रही है। उत्तराखंड मांगे नया भू-कानून, आखिर उत्तराखंड की भूमि/मिट्टी की रक्षा का पहला प्रयास कांग्रेस की सरकार ने किया। हमने भूमि सुधारों के क्षेत्र में व्यापक काम किया, शुरुआतें की और भूमि सुधार से जुड़े हुए पटवारी से लेकर के तहसीलदारों तक, अमीनों से लेकर के लेखाकारों तक और चकबंदी का बनाकर भूमि पुत्रों के अधिकार को संगठित किया। भाजपा ने जब उस कानून को समाप्त किया तो उसके खिलाफ जिस व्यक्ति में सर्वप्रथम आवाज़ उठाई इसीलिए मैं राजनीतिक रूप से उस व्यक्ति के साथ खड़ा दिखाई देता हूं, क्योंकि उसके जरिए भूमि और मिट्टी के साथ हमारा जो कमिटमेंट है वह दर्शाया जाता है और आज कुछ नौजवान जिनकी कल भू कानून के सवाल पर राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी हो सकती हैं, हम से आगे खड़े दिखाई दे रहे हैं तो हम अपने हाथ से उत्तराखंडियत की पहलों को क्यों निकलने दें और क्यों उत्तराखंडियत हमारा कारगर अस्त्र हो सकती है? इस पर मैं उत्तराखंडियत के साथ प्रत्येक दिन आपसे बात करूंगा, कहां कुछ भाजपा ने चुरा दिया है कहां कुछ उत्तराखंडियत की पहलों को दफना दिया है, उसको आपके सामने लाऊंगा।
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