उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर निर्धारण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई आज भी जारी रही. मामले में सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई. आज सरकार की ओर से आरक्षण का रोस्टर कोर्ट में पेश किया गया. जिस पर याचिकाकर्ताओं ने अध्ययन के लिए आज का समय मांगा. जिस पर कोर्ट ने सुनवाई की तिथि कल यानी 27 जून की निर्धारित कर दी।
एकल आयोग की रिपोर्ट को भी नहीं किया गया सार्वजनिक: इधर, आज अधिवक्ता योगेश पचौलिया ने कोर्ट को अवगत कराया कि राज्य सरकार ने आरक्षण को लेकर गठित समर्पित एकल आयोग की जिस रिपोर्ट के बहाने पंचायत चुनाव को लंबे समय तक टाला, उस आयोग की उस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया ही नहीं. जबकि, उसे पब्लिक डोमेन में आना चाहिए था. अब हाईकोर्ट ने इन मुद्दों पर शुक्रवार यानी 27 जून को सुनने का निर्णय लिया है.
आरक्षण रोस्टर को सही साबित करने के रखे गए तर्क: आज मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने लंबी पैरवी कर सरकार की ओर से 9 जून को जारी रूल्स और उसके बाद बने आरक्षण रोस्टर को सही साबित करने के तर्क रखे.
महाधिवक्ता और मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने सरकार का पक्ष रखते हुए बताया कि पिछड़ा वर्ग समर्पित आयोग की रिपोर्ट के बाद आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित करना एकमात्र विकल्प था. 9 जून को जारी यह रूल्स बीती 14 जून को गजट नोटिफाई हो गया था.
सुबह इन तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने आगे की सुनवाई के लिए आज दोपहर 1 बजे का टाइम रखा. दोपहर 1 बजे सरकार की ओर से आरक्षण रोस्टर का ब्यौरा कोर्ट के समक्ष रखा गया. जिस पर याचिकाकर्ताओं ने अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा. जिस पर कोर्ट ने कल यानी 27 जून का समय दिया है।
चुनाव टालने की मंशा नहीं, नियमों का पालन जरूरी: हाईकोर्ट का कहना है उनकी मंशा चुनाव टालने की नहीं है, लेकिन नियमों का पालन जरूरी है. याचिकाकर्ताओं ने उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम और संविधान के अनुच्छेद 243 टी, डी व अन्य का उल्लेख करते हुए कहा कि आरक्षण में रोस्टर अनिवार्य है. यह संवैधानिक बाध्यता है.
पहले इन तारीखों पर होनी थी वोटिंग: गौर हो कि राज्य निर्वाचन आयोग उत्तराखंड ने बीती 21 जून को हरिद्वार जिला को छोड़ बाकी 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए जाने को लेकर अधिसूचना जारी कर दी थी. जिसके तहत दो चरणों में पंचायत चुनाव कराए जाने थे.
इसके तहत 25 जून से 28 जून तक नामांकन की प्रक्रिया पूरी की जानी थी. जबकि, 10 और 15 जुलाई को मतदान तो 19 जुलाई को मतगणना होनी थी, लेकिन आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट न होने की वजह से हाईकोर्ट ने पूरी चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी।
वहीं, 24 जून को राज्य निर्वाचन आयोग आनन-फानन में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को अग्रिम आदेशों के लिए स्थगित कर दिया. जिसके तहत नामांकन की कार्यवाही से लेकर अन्य तमाम कार्यवाहियों को रोक दी गई.

More Stories
पीएम के सुझावों को अमल में लाने की कवायद में जुटी उत्तराखंड सरकार
एलआईसी ने सीएम राहत कोष में दिए 1 करोड़ रुपये
पंचायत उपचुनाव को लेकर आज जारी होगी अधिसूचना, 20 नवंबर को मतदान