उत्तराखंड में पेपर कांड को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। कामरेड इंद्रेश मैखुरी ने भी कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा का पर्चा आधे घंटे के अंदर ही परीक्षा हाल से बाहर आना साफ- सुथरी परीक्षा आयोजित कराने के यूकेएसएसएससी और उत्तराखंड सरकार के दावे पर भारी प्रश्न चिन्ह है. नकल विरोधी कानून के जरिये नकल माफिया पर नकेल कसने के उत्तराखंड सरकार के दावे को भी इस घटना ने तार-तार कर दिया है।
ये शर्मनाक है कि यूकेएसएसएससी के अध्यक्ष जी.एस.मर्तोलिया अपनी नाकामी स्वीकार करने के बजाय पेपर आउट होने की तकनीकी परिभाषा समझा कर परीक्षाओं की ईमानदारी से तैयारी करने वाले युवाओं की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रहे हैं. स्वतंत्र और बेदाग परीक्षा करवाने में नाकाम रहने के लिए यूकेएसएसएससी के अध्यक्ष जी.एस.मर्तोलिया और सचिव को तत्काल पद से हटाया जाना चाहिए।
परीक्षा के आधे घंटे बाद पेपर का बाहर आना बताता है कि उससे पहले दिन उत्तराखंड में पदों की बोली लगाने के लिए कुख्यात हाकम सिंह रावत की गिरफ्तारी छोटा- मोटा स्टंट ही थी। हाकम सिंह के जेल से छूट कर पुनः पुराने धंधे में लगने के बारे में तो उत्तराखंड सरकार को स्पष्टीकरण देना चाहिए कि उसके तथाकथित सख्त नकल विरोधी कानून के बावजूद हाकम सिंह रावत जेल से छूट कैसे गया ? हाकम सिंह के हाकिमों का खुलासा होना भी बहुत जरूरी है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश की जनता के सामने माफी मांगनी चाहिए कि उनका सख्त नकल विरोधी कानून केवल विज्ञापनी शेर सिद्ध हुआ।
मैखुरी ने कहा उत्तराखंड में यूकेएसएसएससी से लेकर विधानसभा तक पिछले 25 साल में हुई तमाम भर्तियों की उच्च न्यायालय की निगरानी में सी.बी.आई.जांच होनी चाहिए. विधानसभा में बैकडोर से भर्ती हुए कुछ कर्मचारी तो हटाए गए, लेकिन विधानसभा के जिन अध्यक्षों ने ये बैकडोर नियुक्तियां की उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई. विधानसभा में बैकडोर नियुक्ति करने वाले सभी विधानसभा अध्यक्षों के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए.
साफ- सुथरी एवं नकल माफिया के प्रभाव से मुक्त प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए संघर्ष कर रहे सभी युवाओं के साथ हम एकजुटता जाहिर करते हैं।

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