आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि देहरादून स्थित खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की लैब को National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories (NABL) ने औषधि परीक्षण प्रमाण पत्र जारी कर दिया है। एनएबीएल प्रमाणन मिलने से देहरादून लैब की जांच रिपोर्ट को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिलेगी।
डॉ. आर राजेश कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा-निर्देशों के तहत यह लैब तैयार की गई है, जहां 3,000 से अधिक नमूनों की जांच हो चुकी है। उन्होंने कहा कि इस लैब में ऑनलाइन प्रमाणीकरण की सुविधा उपलब्ध है। अत्याधुनिक उपकरणों और सात करोड़ रुपये की लागत से बनी यह लैब नकली उत्पाद बनाने और बेचने वालों के खिलाफ प्रदेश में चलाए जा रहे अभियान को गति देगी।
डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि लंबे समय से ड्रग इंस्पेक्टरों की कमी से जूझ रहे खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को 18 नए इंस्पेक्टर मिल गये हैं। उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग ने खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग औषधि निरीक्षक ग्रेड-2 के रिक्त 19 पदों का रिजल्ट जारी कर दिया है। जिससे विभाग को और अधिक मजबूती मिलेगी। साथ ही नकली दवाओं के खिलाफ अभियान को तेज करने के लिए यह कदम अहम साबित होगा।
अपर आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि विभाग श्री ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि पहले देहरादून लैब के प्रमाणपत्रों की वैधता राष्ट्रीय स्तर तक सीमित थी, लेकिन अब एनएबीएल प्रमाणन के बाद इसे वैश्विक मान्यता मिल गई है। उन्होंने कहा कि यह लैब प्रदेश की दूसरी लैब है और इसे अत्याधुनिक तकनीक से तैयार किया गया है। इसमें एचपीएलसी, यूवी/विजुअल फोटो और एफटीआईआर जैसी मशीनों का उपयोग किया जाता है, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप जांच करती हैं।
देहरादून लैब में पांच सेक्शन हैं, जिनमें रसायन परीक्षण, नापतौल, कॉस्मेटिक और माइक्रोबायोलॉजी लैब शामिल हैं। यहां औषधियों, खांसी के सिरप और सौंदर्य उत्पादों की उच्च स्तर की जांच होती है। रुद्रपुर लैब की सीमित क्षमता के चलते देहरादून लैब की जरूरत महसूस हुई। अब यह नई लैब प्रदेश में मिलावटखोरों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों को नई दिशा देगी।
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