पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड के सभी सांसदों, विधायकों और सीएम को बेदम करार दिया है। हरीश रावत ने आरोप लगाया कि दिल्ली के इशारे पर किसी एक शख्स के दबाव में लोगों को परेशान किया जा रहा है लेकिन उत्तराखंड की सत्ता पर काबिज लोगों में आवाज उठाने की हिम्मत नहीं है। हरीश रावत ने ऋषिकेश में आईडीपीएल में बने घर खाली कराए जाने पर सवाल उठाए हैं और बीजेपी सरकार पर तीखा प्रहार किया है। हरीश रावत ने कहा कि #IDPL जो कभी उत्तराखंड की शान था, आज वीरान है। जिन कर्मचारियों ने आईडीपीएल को अपना जीवन दे दिया, जिनमें से कई लोग अपनी जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर हैं, कब बुलावा आ जाए कुछ पता नहीं! जिनको देखने वाला परिवार का कोई उपलब्ध नहीं है, लोगों से कहा जा रहा है जो वहां वर्षों से रह रहे हैं कि आप मकान खाली करिए नहीं तो बुलडोजर चला दिया जाएगा और बुलडोजर चल भी गया है, कई घर ध्वस्त कर दिए गए हैं। मैं इस ध्वस्तिकरण के विरोध में खड़ा हूं, कांग्रेस भी इसके विरोध में खड़ी है। कारण स्पष्ट हैं पहला कारण है कि यहां केंद्र सरकार की अनुमति से रह रहे हैं। मेरे अनुरोध पर तत्कालीन मंत्री श्री #अनंत_कुमार जी ने इनको यहां रहने की अनुमति दी थी और वह भी नाममात्र के किराए पर, शेष सुविधाएं भी आईडीपीएल की ओर से देने की बात कही थी। क्योंकि यह सब रिटायरीज थे इनको पेंशन नाम मात्र की मिल रही है, कुछ लोग तो ऐसे हैं जिनको शायद हजार-बारह सौ रुपया ही पेंशन मिल रही है। वह भी भाजपा की कृपा है इन्होंने पुरानी पेंशन को बंद कर नई पेंशन स्कीम लागू की, उसका दुष्परिणाम इन कर्मचारियों पर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। इनमें से कोई व्यक्ति ऐसा नहीं है जो बाहर कहीं किराए का भुगतान कर सके।
दूसरा कारण यह है कि जब आपने इन्हें इतने लंबे समय तक रहने दिया तो फिर आप इनका कुछ समाधान ऐसा निकालिए, यदि आपके लिए घर खाली करवाना आवश्यक है! मुझे मालूम है आप दिल्ली के आदेश पर कर रहे हैं और दिल्ली इस बहुमूल्य जमीन को किसी ऐसे व्यक्ति को देना चाहती है जो यहां उत्तराखंड के विकास के नाम पर एक बड़ा व्यवसायिक केंद्र बनाना चाहता है। मुझे नहीं लगता कि यहां के सांसद, विधायक, यहां तक कि मुख्यमंत्री जी में भी दम है कि उस व्यक्ति के दबाव को टाल सकें, क्योंकि केंद्र सरकार उस व्यक्ति के इशारे पर काम कर रही है तो आप कहीं वैकल्पिक उपाय करिए, इनको कोई वैकल्पिक स्थान बताइए जहां यह अपना बसेरा बना सकें। आप बिना विकल्प दिए इनको यदि उजाड़ेंगे तो यह उत्तराखंड राज्य निर्माण की भावना पर चोट होगी। इन आईडीपीएल के कर्मचारियों जिन्होंने अपनी जिंदगी इस संस्थान के साथ दे दी जो आपके गलत नीतियों के कारण अब बंद हो गया है उनको भुगतना पड़ रहा है। हमने तय किया है कि हम इनको वैकल्पिक आवास उपलब्ध करवाए सरकार और जब तक कोई वैकल्पिक स्थान उपलब्ध नहीं करवा पाती, उस विषय में इनके साथ कोई समझौता नहीं होता तब तक ध्वस्तीकरण की करवाई वहीं रोकी जाए, क्योंकि ये वहाँ सरकार की अनुमति से रह रहे हैं, इनको बिजली-पानी भी सरकार की अनुमति से दी जा रही थी, अचानक एक दिन आप इन्हें उखाड़कर के फेंक देंगे ये निर्जीव पौंधे नहीं हैं, आज तो आप पौंधे को भी यूं उखाड़ कर के नहीं फेंक सकते, ये तो मानव हैं हम इनके साथ खड़े होंगे चाहे लाठी खानी पड़े, हमारे भाग्य में भी लाठी खाना लिखा है तो लाठी ही खाएंगे।
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