उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल पर नया आरोप लगा है। धामी के मंत्री पर हाउस टैक्स ना भरने का आरोप है। कांग्रेस नेता जयेन्द्र रमोला ने जानकारी देकर बताया कि ऋषिकेश विधायक प्रेमचन्द अग्रवाल शहरी विकास मंत्री के साथ साथ वित्त मंत्री भी हैं और वे जिस विभाग के मंत्री हैं उसी विभाग का वर्षों से उनके परिवार पर बकाया है, जहां एक ओर लोगों को बिल लाए इनाम पाओ के तहत इनाम देने का प्रचार करते हैं वहीं दूसरी ओर उनके घर जिसमें वे कई वर्षों से रह रहे हैं जोकि उनकी पत्नी के नाम पर है जो उनके द्वारा कुछ वर्षों पूर्व ख़रीदा गया और जब यह मकान ख़रीदा गया तब यह भूतल पर ही निर्मित था परन्तु लगभग दो साल पूर्व इसमें बिना नक़्शा पास करवाये प्रथम तल पर कमरे बनाये गये और ये कमरे भी नगर निगम के अभिलेखों में दर्ज नहीं करवाये गये ।इनकी पत्नी के ऊपर नगर निगम का भवन कर वर्ष 2019 तक का बकाया रूपये 32505 है जोकि इनके द्वारा कई वर्षों से जमा ही नहीं करवाया गया ।
रमोला ने बताया कि जब नगर निगम बना तो वर्ष 2019 में नगर निगम द्वारा भवन व दुकान स्वामियों को हाउसिंग व व्यवसायिक स्वकर प्रणाली के तहत बुकलेट भरने को दी गई जिसमें अपनी सम्पत्ति का विवरण मय निर्माण के साथ दिया जाना होता है परन्तु इनके द्वारा आजतक वह भी नहीं दिया गया जोकि अपने आप में आश्चर्यजनक है, जिस विभाग के मंत्री हैं उसी विभाग के बकायेदार इनकी पत्नी है साथ ही भरत विहार एक ऐसा खसरा है जोकि वर्षों से विवादित रहा है परन्तु नियमों को ताक पर रखकर नगर निगम ने इनके पुत्र की एक सम्पत्ति जोकि भरत विहार के विवादित खसरा में है उसको भी नियम विरूद्ध नगर निगम में अंकित करने का कार्य किया और हमें अंदेशा है कि उसका भी भवन कर या भूमि कर इनके पुत्र पर बकाया होगा ।
रमोला ने कहा जब प्रदेश के वित्त मंत्री के परिवार के लोग बकायेदार हों तो ये सरकार जनता को क्या संदेश देने का काम करेगी । मेरा मानना है ऐसे में कि प्रदेश के वित्त मंत्री की ज़िम्मेदारी ज़्यादा बन जाती और उन्हें त्वरित कार्रवाई करते हुऐ सरकारी धन को जमा करवाना चाहिये साथ ही स्वकर फार्म भी भरकर जना करवाना चाहिये ताकि जनता मैं अच्छा संदेश पहुँचे ।
मेरी सरकार से माँग है अगर ये समय पर पैसा जमा नहीं करवाते हैं तो मैं मुख्यमंत्री से माँग करता हूँ कि ऐसे मंत्री के विरूद्ध कार्रवाई करें और इनके परिवार से ब्याज सहित तत्काल भवन कर वसूल करना चाहिये ताकि आम जनमानस में संदेश जाये की सरकार के नियम सबके लिये बराबर हैं।
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