उत्तराखंड कांग्रेस के लिए दिल्ली से आज बेचैन करने वाली तस्वीर आई। करन महारा की दिल्ली में मौजूदगी के बीच हरीश रावत और मल्लिकार्जुन खड़गे की मुलाकात ने कांग्रेस की अंदरुनी सियासत गर्मा दी है। खास तौर पर हरीश रावत विरोधी गुट के लिए ये मुलाकात टेंशन बढ़ाने वाली है। 2017 और 2022 की चुनावी हार के बावजूद कांग्रेस की गुटबाजी दूर नहीं हो पाई है। साथ ही हरीश रावत को हाशिए पर डालने की कोशिशें भी होती रहीं हैं। इसके बाद भी दिल्ली में हरीश रावत का कद घटा नहीं है। हरीश रावत भले ही सिर्फ उत्तराखंड में सियासी तौर पर सक्रिय रहने की बात कह चुके हैं लेकिन हरदा को समझने वाले जानते हैं कि हरीश रावत जो कहते हैं उसके कई मायने होते हैं। इसीलिए हरीश रावत ने जब उत्तराखंड तक ही सीमित रहने की बात कई तो इसके पीछे भी उनके कई संकेत छिपे होने की अटकलें लगने लगी। चर्चा इस बात को लेकर भी है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की टीम में हरीश रावत को अहम भूमिका दी जी सकती है। दावा तो यहां तक किया गया कि हरीश रावत को प्रियंका गांधी की जगह उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया जा सकता है। हालांकि इसे लेकर अभी ऑफिशियली कुछ भी नहीं कहा गया है। मगर आज की मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर खुद ये बात लिखी है कि खड़गे से मुलाकात के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा की। जाहिर है दो सीनियर नेताओं की मुलाकात में राजनीतिक पर ही ज्यादा चर्चा हुई होगी। हरीश रावत चुनाव में मिली करारी हार के बावजूद लगातार सक्रिय हैं। हर संघर्ष में वो फ्रंट पर रहते हैं। इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री अलग-अलग हिस्सों में जाकर कांग्रेस से जुड़ो यात्रा भी निकाल रहे हैं। हरीश रावत की इसी सक्रियता का कायल आलाकमान भी है। इसीलिए आज जब हरीश रावत और खड़गे की मीटिंग हुई तो उसे कई लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। खास तौर पर 2024 चुनाव के मद्देनज़र हरीश रावत को बड़ी जिम्मेदारी मिलने की अटकलें भी तेज हो गई हैं। चर्चा ये भी है कि हरीश रावत ने उत्तराखंड कांग्रेस की मौजूदा स्थिति को लेकर भी खड़गे से बात की है। पार्टी का संगठन उत्तराखंड में कैसे काम कर रहा है और क्या बेहतर किया जा सकता है इसे लेकर भी विस्तार से मंथन किया गया है। फिलहाल उत्तराखंड में प्रभारी को हटाए जाने की भी सुगबुगाहट है ऐसे में हो सकता है कि हरदा से भी इस मसले पर राय ली गई हो। खास बात ये है कि करन माहरा भी अपनी कार्यकारिणी पर फाइनल मुहर लगाने की कोशिश में हैं मगर अभी तक कोई अपडेट नहीं मिल पाया है। अब सवाल इसी बात का है कि आगे क्या होगा? हरीश रावत की दिल्ली वाली मुलाकात के बाद उत्तराखंड कांग्रेस के कितने समीकरण बदलेंगे? क्या हरीश रावत राष्ट्रीय राजनीति में एक बार फिर बड़ी भूमिका में नज़र आएंगे?
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