उत्तराखंड की धामी सरकार दिसंबर में ग्लोबल इंवेस्टर समिट की तैयारी कर रही है। कल ही इसे लेकर एडवाइजरी कमेटी की बैठक भी हुई और 2.5 करोड़ का निवेश लाने का दावा भी किया गया या यूं कहिए की सपना दिखाया गया। मगर सरकार के इस कदम पर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस नेता आनंद रावत ने सरकार की नीति और नीयत दोनों पर तंज कसा है। साथ ही कई सुझाव भी दिए हैं।
क्या सवाल और क्या सुझाव?
इंवेस्टर समिट और उत्तराखंड सरकार की उद्योग नीति को आनंद रावत ने दिखावा करार दिया है। आनंद रावत ने लिखा है “गुरु नानक जी ने सज्जनो को बिखरने और दुर्जनों को इक्कठे रहने का आशीर्वाद दिया”
बचपन में पढ़ी इस कहानी का सार उत्तराखंड की उद्योग नीति पर सटीक बैठती है । पंडित नारायण दत्त तिवारी जी जब सत्तर व अस्सी के दशक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में उद्योग एक ही स्थान में ना लगवाकर अलग अलग क्षेत्र में उद्योग स्थापित करवाए ।
काशीपुर में आईजीएल व सूर्या फ़ैक्टरी तो लालकुआं में सैनचूरी व सोयाबीन फ़ैक्टरी और रानीबाग में एचएमटी । इन उद्योगों का लाभ सभी को वृहद् स्तर पर समान रूप से मिला, हालाँकि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान तिवारी जी चूक गए और उन्होंने सिडकुल की स्थापना केवल रूद्रपुर और हरिद्वार के छोटी से जगह पर स्थापित कर विकास की बयार को सीमित जगह पर बांध दिया, जिससे उत्तराखंड में असंतुलित विकास की नीव पड़ गयी ।
असफलता छिपाने की तरकीब!
एनडी तिवारी के बाद के मुख्यमंत्रियों ( हरीश रावत जी को छोड़कर ) में उद्योगों के विस्तारीकरण हेतु इन्वेस्टर सम्मिट नामक रोग प्रारम्भ हो गया, हालाँकि किसी भी मुख्यमंत्री को इसमें आंशिक सफलता भी नही मिल पायी ? मुझे लगता है ये इन्वेस्टर सम्मिट सिर्फ़ असफलता को छुपाने की ढाल मात्र है
सरकार, अफ़सरशाही व राजनीतिक नेतृत्व ( मुख्यमंत्री ) को उत्तराखंड के लोगों का सत्व व तासीर समझनी होगी और उसके आधार पर नीतियाँ बनानी होंगी । इस क़वायद में हरीश रावत जी कुछ हद तक सही राह पर चले, परन्तु उन्हें कुछ व्यक्तिगत कमी व कुछ छोटा कार्यकाल मिलने के कारण सफलता नही मिल पायी । नीतियाँ ब्लू कालर व वाइट कालर, दोनो का बराबर सामंजस्य रखते हुए बननी चाहिए । ब्लू कालर मतलब श्रमिक व वाइट कालर मतलब मालिक । जब हमारे पास पर्यटन क्षेत्र में असीम संसाधन है, जिसके तहत हम उत्तराखंड के नौजवानों को मालिक बना सकते है, तो इन्वेस्टर सम्मिट को केवल उद्योगों तक सीमित रखकर हम नौजवानों को श्रमिक क्यों बनाए ?
ये सुझाव कितने मददगार?
नैनीताल ज़िले में हरिशताल, बेरीनाग तहसील के अंतर्गत नागवंसियों द्वारा स्थापित नाग मन्दिर, पौड़ी व अल्मोड़ा ज़िले के सीमावर्ति क्षेत्र एकुखेत व सरईखेत, सल्ट व चौखुटिया के रामगंगा क्षेत्र, बागेश्वर की गरुड़ घाटी और द्वाराहाट के मन्दिर और सुन्दर लोहाघाट, प्रतापनगर स्थित सेम-मुखेम क्षेत्र, उत्तरकाशी का बटर फ़ेस्टिवल । इन क्षेत्रों के विकास हेतु इन्वेस्टर सम्मिट होगा, तो उत्तराखंड विकास की नयी इबारत लिखेगा ?
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