चमोली में प्रशासन और सरकार के खिलाफ लोगों में भारी आक्रोश है। मॉनसून में भारी बारिश के कारण बंद हुई सड़कों को जल्द खुलवाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेशों की अधिकारियों को कोई परवाह नहीं है। जिसे लेकर लोग खफा हैं। आरोप है कि सेमी मासौं मोटरमार्ग 4 महीने से बंद है, बार बार शिकायत के बाद भी जिम्मेदार विभाग और अधिकारी कोई कदम नहीं उठा रहे। सड़क बंद होने के कारण जिलासु तहसील के अंतर्गत झिलोट़ी और मस्ट गांव के 65 परिवारों के लोगों को जान जोख़िम में डालकर मीलों पैदल नापना पड़ रहा है । जिससे नाराज ग्रामीणों ने जिला प्रशाषन और जिम्मेदार विभाग के खिलाफ प्रदर्शन किया
संवेदनशील जिला, असंवेदन सिस्टम
उत्तराखंड का चमोली जिला आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है । भारी बारिश के चलते जगह जगह हो रहे भूस्खलन से यहां की सड़कें और पैदल रास्ते बदहाल हो गए हैं। एक ओर प्रकृति की मार और दूसरी तरफ जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा यहां की आवाम को भुगतना पड़ रहा है । चमोली जिले के पोखरी ब्लॉक के अंतर्गत प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनी सेमी मासौं मोटरमार्ग बीते चार महीनों से बंद होने के कारण जिलासु तहसील के झिलोटी और मस्ट गांव के 65 परिवारों के 500 लोगों को मीलो पैदल चलकर मुख्य बाजार पहुचना पड़ रहा है । ग्रामीणों का कहना है कि कई बार सड़क निर्माण कर रहे विभाग के अधिशासी अभियन्ता को मामले से अवगत भी करा दिया है लेकिन अधिकारी सिर्फ आश्वासन ही दे रहे है । जिससे नाराज होकर ग्रामीणों ने जिला प्रशाषन और पीएमजीएसवाई विभाग, प्रदेश सरकार के खिलाफ मुर्दाबाद कर नारे लगाकर प्रदर्शन किया और चेतावनी दी कि यदि जल्द ही सड़क पर यातायात शुरू नही किया गया तो जिलासु तहसील में प्रदेश सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया जाएगा ।
चुनाव बहिष्कार की चेतावनी
सड़क बंद होने से नाराज ग्रामीणों ने आगामी लोकसभा चुनाव के बहिष्कार की चेतावनी भी दे दी है । ग्रामीणों का कहना है सड़क बंद होने के कारण बीमार लोगो को डंडी के सहारे अस्पताल ले जा रहे है । गांव के लोगो का यह भी कहना है कि जब सड़क खुलवाने के लिए जिम्मेदार विभाग को फोन करते है तो विभाग के अधिकारियों द्वारा ग्रामीणों को धमकाया और डराया जाता है ।
विधायक राजेंद्र भंडारी से भी नाराजगी
एक ओर मानसूनी सीजन में हो रही बारिश के कारण लोग परेशान है तो दूसरी तरफ अधिकारियों की लापरवाही क्षेत्रीय जनता पर भारी पड़ रही है । चार महीनों से ग्रामीण क्षेत्रो को सड़क से जोड़ने वाला मार्ग बन्द पड़ा है । ऐसे में ग्रामीणों को होने वाली परेशानी को देखते हुए उन लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ भी जरूर कार्यवाही की जानी चाहिए जो कि मुख्यमंत्री के आदेशों के वावजूद कान में रुई डालकर सोये हुए हैं। लोगों ने स्थानीय विधायक राजेंद्र भंडारी पर भी अनदेखी का आरोप लगाया है। लोगों का कहना है कि उनकी समस्या का समाधान निकालने के लिए विधायक ने भी कोई मदद नहीं की।
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