उत्तराखण्ड कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन की ओर से राज्यसभा में उत्तराखंड सहित हिमालयी राज्यों में बार-बार आने वाली आपदा का मामला उठाये जाने पर उनका धन्यवाद करते हुए कहा कि जिस उत्तराखण्ड राज्य ने भारतीय जनता पार्टी को 5 लोकसभा और 3 राज्यसभा सांसद चुनकर दिये हैं इसके बावजूद उन्होंने राज्य में आई आपदाओं के मामले में अपने होंठ सिले हुए हैं उन्हें अपनी ही सरकार में उत्तराखंड आपदा की याद नहीं आ रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई बार अपनी राजनीतिक धार्मिक यात्राओं पर उत्तराखण्ड आ चुके हैं परन्तु उन्होंने केवल इस देवभूमि की जनता की धार्मिक भावनाओं को छलने का काम किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी दिल्ली दौड़ में व्यस्त हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो माह से चारधाम यात्रा बाधित है, केदारनाथ में हजारों तीर्थ यात्री फंसे हुए हैं तथा कई यात्री लापता हैं, उनका रेस्क्यू पूरा नहीं हो पाया है और न ही केदारनाथ यात्रा के रास्तों पर आया मलबा हटाया जा सका है। उन्होंने ये भी कहा कि लोकसभा चुनाव में विकास की जिम्मेदारी लेने वाले गृहमंत्री अमित शाह भी सदन में अपना मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं।
केंद्र का सौतेला बर्ताव- करन माहरा
करन माहरा ने ये भी कहा कि 2024-25 के आम बजट में भी उत्तराखण्ड को खाली हाथ छोड दिया गया। दैवीय आपदा प्रभावित राज्य होने के बावजूद उत्तराखंड राज्य के जोशीमठ, रैणी, सिल्क्यारा जैसी आपदा के लिए बजट में कोई भी प्रावधान नहीं किया गया केवल चुनावों के दौरान लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़का कर बरगलाने का काम किया गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनावी भाषणों में कभी गंगा ने बुलाया है, कभी गंगा ने गोद लिया है का जुमला तो छोड़ते हैं परन्तु उसी गंगा की प्रसूता धरती उत्तराखण्ड को भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में विगत कुछ वर्षों से लगातार आपदा का दंश झेल रहे प्रभावित एवं विस्थापन के लिए चिन्हित 377 गांव पुनर्वास की बाट जोह रहे हैं परन्तु अभी तक उनके पुनर्वास की न तो केन्द्र सरकार और न राज्य सरकार ही कोई व्यवस्था कर पाई है तथा यहां के लोगों को आपदा का शिकार होने के लिए उनके हाल पर छोड दिया गया है।
उत्तराखंड के सांसद मायूस कर रहे- माहरा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि उत्तराखंड राज्य की जनता के लिए दुःख का विषय है कि उसके अपने जनप्रतिनिधि जिन्हें यहां की जनता ने अपना प्रतिनिधि चुनकर देश की सबसे बडी पंचायत में भेजा है उनके दुःख दर्द में चुप बैठे हैं वहीं अन्य राज्य जो बार-बार आने वाली आपदा के दंश से वाकिफ हैं उन राज्यों के जनप्रतिनिधि यहां के लोगों की परेशानी को समझते हैं राज्यवासियों के लिए इससे बडी बिडंबना क्या हो सकती है।
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