रामपुर तिराहा कांड में तीन दशक बाद बड़ा फैसला सुनाया गया है। कोर्ट ने PAC के दो सिपाहियों को दोषी करार दिया है। दोषी करार दोनों सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र सिंह को पुलिस कस्टडी मे लेकर जेल भेज दिया है और 18 तारीख को सजा का ऐलान किया जाएगा। 1 अक्टूबर 1994 को उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर बड़ी संख्या में आंदोलनकारी दिल्ली कूच के लिए निकले थे। इसी दौरान तत्कालीन मुलायम सिंह की सरकार नेआंदोलनकारियो को रोकने का के लिए बल प्रयोग किया। मुजफ्फरनगर में रात के समय आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज और गोलियां चलवा दीं थीं साथ ही महिलों के साथ हैवानियत भी की गई थी। इस घटना में 7 आंदोलनकारी शहीद हुए थे। ये मामला मुज़फ्फरनगर की कोर्ट संख्या 7 में जज शक्ति सिंह की अदालत में चल रहा था जिसमें आज शक्ति सिंह की कोर्ट ने PAC 41 के 2 जवानों वीरेंद्र सिंह और मिलाप सिंह को धारा IPC 376,354. और 509 में उन्हें दोषी करार दिया।
दोषी मिलाप सिंह मूल रूप से एटा के निधौली कलां थाना क्षेत्र के होर्ची गांव का रहने वाला है जबकि दूसरा दोषी वीरेंद्र प्रताप मूल रूप से सिद्धार्थनगर के गौरी गांव का रहने वाला है।
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