महिला आरक्षण बिल के जरिये 2024 के चुनाव से पहले नया संदेश देने की कोशिश में है। आधी आबादी को 33% राजनीतिक आरक्षण के बहाने बीजेपी अपना वोट बैंक भी मजबूत करना चाहती है साथ ही चुनाव में विपक्ष पर हमला बोलने का नया मुद्दा भी तलाशना चाहती है। मगर इसे लेकर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस ने बीजेपी और केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने बिल की टाइमिंग को लेकर सरकार को घेरा है। कांग्रेस नेता डाॅ0 प्रतिमा सिंह ने संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल लाये जाने पर तंज कसते हुए कहा कि महिला आरक्षण बिल कहीं भाजपा का चुनावी जुमला बन कर न रह जाय। उन्होंने कहा कि लोकसभा के चुनाव नजदीक आते ही भाजपा को महिला आरक्षण बिल की याद आखिर आ ही गई। अपनी सरकार के 9 साल के कार्यकाल में एक भी सत्र में महिला आरक्षण बिल पर बात न करने वाली भाजपा को चुनाव आते ही महिला आरक्षण बिल को संसद में लाने पर संशय व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा के अन्दर ही इस बिल को लेकर आपसी खींचतान है।
कांग्रेस महिलाओं की बराबर भागीदारी की हिमायती
डॉ. प्रतिमा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से महिलाओं को बराबर का हक देने के पक्ष में रही है तथा कांग्रेस ने महिला आरक्षण बिल का समर्थन किया है। कांग्रेस पार्टी ने 2010 में महिला आरक्षण बिल को राज्यसभा से पास करवाया था परन्तु लोकसभा में कुछ सांसदों के व्यक्तिगत हितों के चलते बिल पेश नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एवं पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने संगठन में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण का पहले ही प्रावधान किया है तथा कांग्रेस पार्टी संसद तथा विधानसभाओं में भी महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। परन्तु जिस प्रकार केन्द्रीय मंत्री द्वारा ट्विट किया जाना तथा फिर से उसे हटा दिया गया है उससे भाजपा सरकार के महिला आरक्षण बिल पर संदेह बना हुआ है।
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