उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी के घर देर रात 1 बजे पुलिस पहुंची और नोटिस दिया। हैरानी की बात ये है कि इसमें कोई महिला पुलिसकर्मी शामिल नहीं थी। नोटिस में उन्हें सरकार के खिलाफ प्रदर्शन ना करने और पुतला दहन ना करने की चेतावनी दी गई।
गरिमा दसौनी ने डीजीपी से की शिकायत
इस पूरे मुद्दे पर गरिमा दसौनी ने राज्य के डीजीपी को चिट्ठी लिखकर शिकायत की और बाद में उनसे मुलाकात भी की। गरिमा ने डीजीपी को लिखा आपका नोटिस प्राप्त हुआ है। उक्त नोटिस के संबंध में आपको अवगत कराना है कि जनपद उधमसिंहनगर में हुए महिला नर्स के साथ बलात्कार एवं हत्या के विरोध में राज्य सरकार का पुतला दहन कार्यक्रम का आह्वान एवं नेतृत्व महानगर महिला कांग्रेस कमेेटी द्वारा किया गया है। उत्तराखण्ड प्रदेष मीडिया की मुख्य प्रवक्ता होने के कारण मेंरे द्वारा उक्त कार्यक्रम की सूचना मीडिया को दी गई थी। इस संबंध में मुझे नोटिस दिया जाना अनुचित है। महोदय उक्त नोटिस बसन्त विहार थानाध्यक्ष द्वारा मुझे 1.00 बजे कल रात्रि को भेजा गया, चूकिं जो सिपाही भेजे गये उनके साथ कोई महिला पुलिस नही थी इसलिए मैंने उनसे मुलाकात नही की और उसकी षिकायत दूरभाश पर कप्तान देहराूदन से की। जिस पर मुझे कप्तान द्वारा आष्वासन दिया गया कि कार्रवाही सुबह की जायेगी। आज सुबह पुनः पुलिस 6.30 बजे प्रातः मुझे नोटिस देने मेरे घर पहॅुच गई।
महोदय,मैें अपने 94 वर्ष के बुजुर्ग ससुर जी और शारीरिक रूप से 80 प्रतिषत दिव्यांग पुत्री के साथ अकेली रहती हूं। ये पुलिस प्रशासन की घोर संवेदनहीनता है जो रात 1.00 बजे मुझे और मेरे परिवार को मानसिक रूप से पीड़ा पहुंचाई गई है।
अतः उपरोक्त तथ्यों के आधार पर मेरा आपसे आग्रह है कि भविष्य में मामले की पूरी जानकारी के पष्चात ही नोटिस दिया जाय और यदि महिलाओं से संबंधित कोई भी कार्रवाही हो तो समय व समाज का ध्यान रखा जाय। महोदय हम साधारण लोग हैं दुर्दान्त अपराधी नही हमारी समाज में स्वच्छ छवि है, इतना जरूर है कि मुख्य विपक्षी दल की पदाधिकारी होने के नाते मेरे द्वारा भ्रश्टाचार व दुश्कमों पर मुखरता से आवाज उठाई जाती है।
महोदय आपके संज्ञान में यह भी लाना था कि इसी तरह लोकसभा चुनाव से ठीक एक दिन पहले की रात यानि 18 अपै्रल 2024 रात 8.30 बजे थानाध्यक्ष बसन्त बिहार द्वारा मेरे आवास पर 2 सिपाही और पुलिस की गाडी भेजी गई। सिपाही आधे घण्टे तक मेरे विषय में पूछताछ करते रहे, जिसकी शिकायत मेेरे द्वारा मा. मुख्यमंत्री जी एवं कप्तान देहरादून से की गई थी। जिस पर मुझे मामले की तफतीष करने का आष्वासन दिया गया। परन्तु मुझे ये आज तक पता नहीं चल पाया कि ठीक चुनाव से पहले मेरे घर पर पुलिस क्यों भेजी गई थी।
अतः बार-बार पुलिस द्वारा मेरे आवास पर असमय पर आना मेरे व मेरे परिवार के लिए अत्यन्त पीडादायक एवं कष्टकारी है। ऐसे प्रतीत होता है कि जानबूझकर मेरे मनोबल को तोड़ने के मकसद से मानसिक रूप से उत्पीडन और दबाव बनाने के लिए यह सब किया जा रहा है।
हरीश रावत ने की गरिमा दसौनी की तारीफ
इस पूरे मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता की तारीफ की है। हरीश रावत ने लिखा
#GarimaDasauni, कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता, एक सशक्त उत्तराखंडी आवाज जिसको प्रांतीय स्तर पर भी और राष्ट्रीय स्तर पर भी गंभीरता से सुना जाता है। नशे के खिलाफ यदि मां-बहनें प्रदर्शन नहीं करेंगी, सवाल को नहीं उठाएंगी, संघर्ष नहीं करेंगी, जनचेतना जागृत नहीं करेंगी तो कौन करेगा? और हमारे राज्य की पुलिस है कि ऐसे बयान के लिए गरिमा दसौनी को नोटिस दे रही है, मुकदमा करने की साजिश कर रही है। मैं, गरिमा से कहना चाहता हूं कि पुलिस का यह नोटिस तुम्हारे लिए एक आभूषण है, संघर्ष जारी रखो और भी बहुत सारे ऐसे नोटिसेज आएंगे, उनका मुकाबला करेंगे।
More Stories
दिल्ली रूट पर यात्रियों की सहूलियत पर सरकार का ध्यान
दून यूनिवर्सिटी में गंगधार कार्यक्रम का आगाज
100 दिवसीय टीवी उन्मूलन अभियान पर जेपी नड्डा की बैठक