उत्तराखंड में फजीहत के बाद धामी सरकार के शिक्षा विभाग ने अपना आदेश वापस ले लिया है। सूत्रों के मुताबिक प्रिंसिपल और शिक्षकों को बिस्तर का इंतजाम करने का आदेश वायरल होने पर सीएम दफ्तर से शिक्षा विभाग के अधिकारी को जबरदस्त फटकार पड़ी।
जिसके बाद शाम होते होते आदेश वापस ले लिया गया। मगर यहां भी गजब का खेल देखने को मिला। एक ही अधिकारी के दो अलग अलग आदेश पर दस्तखत अलग अलग हैं। अब बड़ा सवाल है कि सही वाला दस्तखत किसे माना जाए।
इंद्रेश मैखुरी ने फिर घेरा
इस मुद्दे पर इंद्रेश मैखुरी ने सरकार और शिक्षा विभाग पर एक बार फिर तंज कसा है। मैखुरी ने कहा
गैरसैंण के खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा पत्र जारी करके इस क्षेत्र के इंटर कॉलेज और उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्यों से गैरसैंण में होने वाले आगामी विधानसभा सत्र के लिए विभागीय अधिकारियों के स्टाफ के वास्ते बिस्तर का इंतजाम करने को कहा गया.
मैंने इस मसले को सोशल मीडिया पर उठाया तो वह चिट्ठी वायरल हो गयी। उसके बाद फिर गैरसैंण के खंड शिक्षा अधिकारी ने एक पत्र जारी किया है, जिसमें पहले वाले पत्र को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की बात कही गयी है. यह भी लिखा है कि बिस्तर के इंतजाम वाला पहला आदेश कार्यालय लिपिकीय भूलवश / त्रुटिवश निर्गत हो गया।
पहले आदेश में लिखा था कि विगत वर्ष की भांति दो जोड़ी बिस्तर उपलब्ध करवाने हैं. नये आदेश में पहले आदेश को लिपिकीय भूल माना गया है ! तो लिपिकीय भूल/ त्रुटि इस वर्ष स्कूलों से बिस्तर मांगवना था या पिछले वर्ष मांगे गए बिस्तर भी इस त्रुटि में शामिल हैं ? यह भी गौरतलब है कि बिस्तर मंगवाने वाला आदेश और उस आदेश को भूल/ त्रुटि बता कर निरस्त करने वाला आदेश- दोनों ही खंड शिक्षा अधिकारी , गैरसैंण के दस्तखत से जारी हुए हैं. लेकिन हैरत की बात है कि दोनों पत्रों में खंड शिक्षा अधिकारी , गैरसैंण के हस्ताक्षर अलग- अलग हैं !
अजब खेला है धन सिंह रावत जी आपके विभाग का और पुष्कर सिंह धामी जी आपके राज का !
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