6 July 2025

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भू कानून के मुद्दे पर कांग्रेस ने सरकार की नीयत पर उठाए सवाल

भू कानून के मुद्दे पर कांग्रेस ने सरकार की नीयत पर उठाए सवाल

उत्तराखंड में भू कानून को लेकर सियासत तेज हो गई है। मुख्यमंत्री धामी ने अगले साल विधानसभा के बजट सत्र में नया भू कानून लाने का दावा किया है जिसे लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं साथ ही बीजेपी सरकार पर ढकोसला करने का आरोप भी लगाया है। उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा है कि प्रदेश में 2003 में तिवारी सरकार द्वारा बनाए गए कानून में त्रिवेंद्र और धामी सरकारों द्वारा किए गए संशोधनों को रद्द किया जाए। प्रदेश में 2017 से 2024 तक हुई जमीन की खरीद-फरोख्त की जांच हो। प्रदेश सरकार भू कानून पर श्वेत पत्र जारी करे। राजधानी और प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। धस्माना ने सख्त भू कानून लाने की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा को एक शिगूफा करार देते हुए मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि पहले उनको ये बताना चाहिए कि उत्तराखंड राज्य में पहले से विद्यमान भू कानून, जिसे नारायण दत्त तिवारी की सरकार ने 2003 में उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि प्रबंधन कानून 1950 की धारा 154 को संशोधित करते हुए बनाया था, उसे नष्ट-भ्रष्ट किसने किया?

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प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि राज्य की पहली निर्वाचित सरकार के मुख्यमंत्री एन. डी. तिवारी ने 2003 में उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि प्रबंधन अधिनियम 1950 की धारा 154 को संशोधित करते हुए यह प्रावधान किया था कि कोई भी उत्तराखंड प्रदेश से बाहर का व्यक्ति अगर आवासीय प्रयोजन से उत्तराखंड में भूमि खरीदना चाहता है, तो वह 500 वर्ग मीटर भूमि खरीद सकता है। और अगर कोई निवेश की दृष्टि से राज्य में उद्योग लगाने या चिकित्सा स्वास्थ्य के क्षेत्र में भूमि क्रय करना चाहे, तो इस शर्त के साथ कि जिस प्रयोजन के लिए वह भूमि खरीदेगा, उस प्रयोजन के अतिरिक्त अगर वह भूमि किसी और प्रयोजन में इस्तेमाल की गई, तो वह राज्य सरकार में निहित हो जाएगी, और साढ़े बारह एकड़ भूमि सरकार से अनुमति लेकर खरीदी जा सकती है। यह व्यवस्था की गई थी।

खंडूरी सरकार में हुआ सकारात्मक संशोधन कांग्रेस

धस्माना ने कहा कि 2007 में भाजपा सरकार आने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री बी. सी. खंडूरी ने इसमें एक संशोधन कर आवासीय भूमि की सीमा 500 वर्ग मीटर से घटाकर 250 कर दी, लेकिन बाकी सारे प्रावधान तिवारी सरकार द्वारा बनाए गए कानून के ही रखे।

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धस्माना ने कहा कि तिवारी सरकार द्वारा तैयार किया गया भू कानून राज्य के लिए सर्वोत्तम था, जो 2017 तक राज्य में लागू रहा। किंतु उसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उस कानून में छेड़छाड़ कर उसे पंगु बनाने का काम शुरू कर दिया। श्री धस्माना ने कहा कि 2018 में इस कानून की मूल भावना को समाप्त कर साढ़े बारह एकड़ की सीमा को हटा दिया गया और इसे ‘आवश्यक भूमि’ कर दिया गया। सबसे महत्वपूर्ण शर्त, जिसमें कहा गया था कि भूमि का प्रयोजन बदलने पर भूमि राज्य सरकार में निहित हो जाएगी, को समाप्त कर दिया गया।

धामी सरकार ने किया बड़ा नुकसान- धस्माना

धस्माना ने कहा कि इस कानून पर अंतिम चोट धामी सरकार ने तब की, जब 2022 में बाहरी व्यक्तियों को भूमि खरीदने के लिए अनुमति की शर्त भी समाप्त कर दी गई। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकारों ने तिवारी सरकार द्वारा बनाए गए भू कानून को निष्प्रभावी बना दिया, जिससे 2018 से 2024 के बीच उत्तराखंड में बाहरी धन्नासेठों ने बड़े पैमाने पर भूमि खरीदी। त्रिवेंद्र सरकार ने कृषि भूमि को भी भू माफियाओं के हाथों खुर्द-बुर्द करने के लिए देहरादून समेत कई शहरों में नगर निगमों और नगर पालिका परिषदों की सीमा विस्तार कर कृषि भूमि को निकायों में लाकर उन्हें भू कानून के दायरे से बाहर कर दिया। धस्माना ने कहा कि यदि धामी सरकार अपनी पिछली सरकारों की गलतियां स्वीकार कर तिवारी सरकार द्वारा बनाए गए भू कानून को फिर से पूरी तरह लागू करती है, तो उसे 2018 से 2024 के बीच हुई बाहरी लोगों द्वारा भूमि की खरीद पर श्वेत पत्र जारी कर यह बताना चाहिए कि कितनी भूमि खरीदी गई और उसका उपयोग उद्योग या चिकित्सा स्वास्थ्य के अलावा अन्य प्रयोजनों में किया गया है या नहीं। अगर भूमि जन उपयोगी प्रयोजनों में न आई हो, तो उसे राज्य सरकार में निहित किया जाए। धस्माना ने भाजपा द्वारा किए गए पापों पर अब एक नया शिगूफा छेड़कर श्रेय लेने की कोशिश की जा रही है, जो प्रदेश जानता है।

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