लेफ्ट नेता और सोशल एक्टिविस्ट इंद्रेश मैखुरी ने धामी सरकार पर तीखे प्रहार किए हैं। मैखुरी ने कहा कि उत्तरकाशी के एडीएम और पुलिस उपाधीक्षक को हटाया जाना, सीधे तौर पर सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने और कानून अपने हाथ में लेकर पथराव करने वालों का हौसला बढ़ाने वाला कदम है. अफसरों के इस तबादले में सांप्रदायिक और जातीय पूर्वाग्रह भी स्पष्ट तौर पर झलक रहा है।

उत्तरकाशी की मस्जिद को जिला प्रशासन द्वारा जांच के उपरांत वैध पाया गया था. इसके बावजूद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा मस्जिद की फिर जांच की बात कहना और दो अफसरों का तबादला दर्शाता है कि वे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति की तरह नहीं बल्कि सांप्रदायिक पूर्वाग्रह से ग्रसित और क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थों से संचालित व्यक्ति की तरह आचरण कर रहे हैं.
मैखुरी ने कहा कि उत्तरकाशी में हुए बवाल ने मुख्यमंत्री के उस दावे की भी पोल खोल दी, जो उन्होंने दंगारोधी कानून बनाने के वक्त किया था. जिन लोगों ने बाहर से जा कर माहौल को बिगाड़ा उनके तो नाम भी एफ आई आर में नहीं लिखे गए हैं.
उत्तरकाशी में साम्प्रदायिक सौहार्द को खराब करने के लिए की जाने वाली किसी भी महापंचायत को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और इस पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए।

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