उत्तराखंड में एक शिक्षक के निलंबन पर सियासत गर्म हो गई है। केदारनाथ उपचुनाव के प्रचार के दौरान हरीश रावत बीते दिनों दिवंगत शैलारानी रावत के आवास पर गए थे इसी दौरान एक शिक्षक भी वहां थे और उन्होंने भी हरीश रावत के साथ तस्वीर खिंचा ली आरोप है कि इसी मुद्दे पर शिक्षक को सस्पेंड कर दिया गया। मामले पर अब हरीश रावत ने भी प्रतिक्रिया दी है। हरीश रावत ने कहा है कि राजनीति क्या इतनी नीचे तक गिर सकती है या गिरनी चाहिए? क्या मैं इतना न छूने लायक हो गया हूं कि कोई व्यक्ति किसी संवेदना प्रकट करने के लिए गए स्थल पर मेरे साथ फोटो फ्रेम में आ जाए तो उसको अपनी राजकीय सेवाओं से हाथ धोना पड़ेगा। शैलारानी जी का केदारनाथ कर्म क्षेत्र था, वो दिवंगत हो गई। मैंने टेलीफोन कर उनके पति देव और उनकी पुत्री, दोनों से सांत्वना प्रकट की। क्योंकि हम अलग-अलग राजनीतिक दलों में थे। मैं उस समय दिल्ली में था सूचना मिलने में देरी हो गई तो मैं एकाध बार उनके आवास देहरादून पर जाना चाहता था, वहां उस दिन उनकी पुत्री #ऐश्वर्या, जो उनकी एकमात्र संतान है वह उपलब्ध नहीं थी। जब मैं यहां चुनाव प्रचार के लिए आया केदारनाथ क्षेत्र में तो यह बात खटकी कि मुझे ऐश्वर्या जी के निवास पर जाना चाहिए, शैला जी के निवास पर अगस्त्यमुनि में जाना चाहिए और मैं उनके आवास पर गया। विशुद्ध रूप से पुष्प चढ़ाने के लिए गया और वहां जो उन्हीं के पारिवारिक जन मुझे यह भी मालूम नहीं था कि कोई उसमें कहीं शिक्षक भी है वह लोग भी थे तो उन्होंने मेरे साथ श्रद्धांजलि के बाद एक फोटो खींचवा ली और वह फोटो वायरल हो गई।
अब मुझे पता चला है कि उस व्यक्ति को जो शैलारानी जी का रिश्तेदार था उसको केवल मेरे फोटो में आने के कारण दंडित कर दिया गया है और उन्हें शिक्षा विभाग पौड़ी द्वारा निलंबित कर दिया गया है। #शिक्षा_विभाग और प्रशासन निष्पक्षता का उच्चतम् उदाहरण प्रस्तुत किया जा रहा है। मैं संवेदना के लिए घर जा रहा हूं, कोई राजनीतिक बात नहीं है। लेकिन जो मेरे साथ खड़े हैं, कैसे उनको दंडित किया जाए उसका रास्ता ढूंढा जा रहा है? और दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी ने अधिकारिक रूप पर चुनाव आयोग को शिकायत की है कि केदारनाथ क्षेत्र में सरकारी मशीनरी का खुलकर के दुरुपयोग किया जा रहा है। राज्य के स्टेट ऑफिस की गाड़ियां जगह-जगह खड़ी हैं। मुझे मालूम है उनमें धन और शराब पहुंचाई जा रही है। बांटने वाले कौन हैं कोई बताने की आवश्यकता नहीं है तो “हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम और सत्ता यदि कत्ल भी कर देती है तो कहते हैं चर्चा न कर”।।
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