उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद इसका विरोध शुरू होने लगा है,पर्वतीय मूल निवासी इस कानून के कुछ प्रावधानों को लेकर नाराज़ हैं और इसमें संशोधन की मांग कर रहे हैं,इसी कड़ी में सबसे पहले राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी
क्षेत्रीय पार्टी ने कल एक दिवसीय उपवास करने का निर्णय लिया है, उपवास के बाद पार्टी राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेगी,जिसमें सरकार को 1 सप्ताह का अल्टीमेटम दिया जाएगा।
क्या है विरोध का कारण?
UCC में स्थायी निवासी की परिभाषा को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। नए प्रावधानों के तहत –
1. जो व्यक्ति कम से कम एक वर्ष से उत्तराखंड में निवास कर रहा है,उसे स्थायी निवासी माना जा सकता है।
2. राज्य सरकार या उसके किसी उपक्रम में कार्यरत कर्मचारी भी स्थायी निवासी होंगे।
3. राज्य सरकार की योजनाओं के लाभार्थी भी इस श्रेणी में आएंगे।
पर्वतीय मूल निवासी इस नियम का विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि इससे बाहरी लोगों को आसानी से स्थायी निवासी का दर्जा मिल जाएगा,जिससे स्थानीय संस्कृति,भूमि अधिकार और सामाजिक संरचना प्रभावित होगी।
कल ज्ञापन सौंपेगी राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी 1 सप्ताह का देगी अल्टीमेटम
राष्ट्रवादी क्षेत्रीय पार्टी कल एक दिवसीय उपवास करेगी और इसके बाद राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेगी,इस ज्ञापन में सरकार को 1 सप्ताह का समय दिया जाएगा ताकि वह पर्वतीय मूल निवासियों की मांगों पर विचार करे।
पार्टी प्रवक्ता का कहना है –
“हम सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह पर्वतीय मूल निवासियों की भावनाओं को समझेगी और UCC के विवादित प्रावधानों पर पुनर्विचार करेगी, यदि हमारी मांगें अनसुनी की गईं, तो हम एक बड़े आंदोलन की तैयारी करेंगे।”
उत्तराखंड क्रांति दल और सामाजिक संगठनों का समर्थन संभव
सूत्रों के अनुसार, उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) से भी इस आंदोलन में शामिल होने की अपील भविष्य में की जा सकती है इसके अलावा, राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी अन्य सामाजिक संगठनों, स्थानीय समूहों और जनप्रतिनिधियों से भी इस आंदोलन में जुड़ने की अपील करेगी।
यूसीसी पर क्या होगा आगे?
कल एक दिवसीय उपवास के बाद पार्टी सरकार को ज्ञापन सौंपेगी।
ज्ञापन में सरकार को 1 सप्ताह का समय दिया जाएगा ताकि वह पर्वतीय मूल निवासियों की मांगों पर विचार करे।
अगर सरकार चुप रहती है, तो राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी जनआंदोलन शुरू करेगी और मूल निवासियों को साथ जोड़ेगी। क्योंकि ये पर्वतीय समाज से जुड़ा मुद्दा हैं तो संभवतः माना जा सकता है कि उत्तराखंड क्रांति दल और अन्य सामाजिक संगठन भी इस विरोध का हिस्सा बन सकते हैं।
UCC लागू होने के बाद उत्तराखंड में इसका विरोध अब शुरू हो रहा है,पर्वतीय मूल निवासी इसे अपने अधिकारों और पहचान के लिए खतरा मान रहे हैं,कल होने वाले उपवास और ज्ञापन के बाद सरकार पर दबाव बढ़ सकता है,अब देखना यह होगा कि सरकार अगले 1 सप्ताह में क्या कदम उठाती है,या फिर राज्य में एक बड़े जन आंदोलन की शुरुआत होती है।
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